रांची:मनरेगाकर्मियों ने एक बार फिर सरकार पर अपनी मांगों को पूरा करने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है. झारखंड मनरेगा कर्मचारी महासंघ(Jharkhand State MNREGA Employees Federation) का एक शिष्टमंडल गुरुवार को नई मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी से मिला और ज्ञापन सौंपते हुए 8 महीने पहले हुई मंत्रीस्तरीय बातचीत को पूरा करने की अपील की.
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मनरेगा कर्मचारी संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष महेश सोरेन के नेतृत्व में शिष्टमंडल ने विस्तार से 8 महीने पहले हुई मनरेगाकर्मियों की हड़ताल और उसके बाद मंत्रीस्तरीय बातचीत, फिर 11/12/2020 को सचिव स्तरीय वार्ता के शून्य फलाफल के कारण पूरे प्रदेश में मनरेगाकर्मियों में सुलगते आक्रोश से मनरेगा आयुक्त को अवगत कराया.
ज्ञापन सौंपकर मनरेगाकर्मियों ने रखी मांगें
मनरेगा कर्मचारी संघ ने मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी को ज्ञापन सौंपकर एक बार अपनी मांगें दोहराई हैं
1. विगत हड़ताल के दौरान समर्पित 5 सूत्री मांगों में से सहमति बनी 3 मांगों की पूर्ति के लिए यथाशीघ्र विभागीय संकल्प जारी करने का अनुरोध किया गया. EPF, बीमा, बिना वजह बर्खास्तगी, मनरेगाकर्मियों को वित्तीय शक्ति डोंगल (डिजिटल हस्ताक्षर शक्ति) देने संबंधित मांगों पर जल्द विचार करने का अनुरोध किया गया.
2. विकास आयुक्त झारखंड की अध्यक्षता में झारखंड के अनुबंध कर्मचारियों की सेवा शर्तों में सुधार और नियमितीकरण से बनी उच्च स्तरीय समिति में मनरेगाकर्मियों को शामिल करते हुए तत्काल न्यूनतम वेतन, श्रम कानून के तहत 24000/मासिक भुगतान कराने का अनुरोध किया गया.
3. राज्य के कई जिलों में छोटी- छोटी बातों के लिए मनरेगाकर्मियों को बिना वजह बर्खास्त किया गया है. इसके लिए जो अपीलीय प्रावधान की समय सीमा दी गई, उसे असीमित समय तक करने की जरूरत है. कारण है कि राज्य के अधिकांश प्रमंडलों में लंबे समय तक प्रमंडलीय आयुक्त की पोस्टिंग नहीं हुई. फलत: समय पर मनरेगाकर्मियों की अपील पर विचार सही तरीके से नहीं हो पाया और पूर्व बर्खास्तकर्मी पर अपनी बात रखने का प्रावधान किया जाए. जहां तक हो सके, कोरोना जैसी वैश्विक आपदा में किसी भी अल्प मानदेय भोगी कर्मचारियों की सेवा समाप्त नहीं की जाए.
4. सभी खाली पदों की बहाली में मनरेगाकर्मियों के लिए कुल सीटों के 50 % आरक्षण, 25 अंकों का वेटेज और कम से कम 10 साल या सेवा काल तक उम्र सीमा में छूट दिया जाए और सीमित उपसमाहर्ता की परीक्षा में बैठने का मौका दिया जाए.
5. मृत मनरेगा कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकंपा की नौकरी और 50 लाख आर्थिक मदद की जाए.
6. सभी मनरेगाकर्मियों को शून्य ब्याज पर 10 लाख तक के ऋण की व्यवस्था की जाए.