रांची:भारतीय सीनियर महिला हॉकी टीम ने जापान को 4-0 से हराकर वीमेंस एशियन हॉकी चैंपियनशिप का खिताब दूसरी बार अपने नाम किया है. रांची में आयोजित इस टूर्नामेंट में भारतीय टीम की गौरवशाली जीत की पटकथा लिखने में झारखंड की दो प्लेयर सलीमा टेटे और संगीता स्टार बनकर उभरी हैं.
ये भी पढ़ें-Womens Asian Champions Trophy 2023: राज्यपाल, सीएम समेत मंत्रियों ने भारतीय महिला हॉकी टीम को जीत की बधाई
सलीमा टेटे को प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट घोषित किया गया, जबकि टूर्नामेंट में भारत की ओर से सर्वाधिक छह गोल करने का रिकॉर्ड संगीता कुमारी के नाम दर्ज हुआ, लेकिन इस मुकाम पर पहुंचने के लिए इन स्टार बेटियों ने गरीबी और संघर्ष की पथरीली राहों पर लंबा सफर तय किया है.
सलीमा टेटे का परिवार सिमडेगा के बड़की छापर गांव में आज भी एक कच्चे मकान में रहता है. उनके पिता सुलक्षण टेटे भी स्थानीय स्तर पर हॉकी खेलते रहे हैं. उनकी बेटी सलीमा ने जब गांव के मैदान में हॉकी खेलना शुरू किया था, तब उनके पास एक अदद हॉकी स्टिक भी नहीं थी. वह बांस की खपच्ची से बने स्टिक से खेलती थीं.
टोक्यो ओलंपिक में जब भारतीय महिला ह़ॉकी टीम क्वार्टर फाइनल मुकाबला खेल रही थी, तब इस टीम में शामिल सलीमा टेटे के पैतृक घर में एक अदद टीवी तक नहीं था कि उनके घरवाले उन्हें खेलते हुए देख सकें. इसकी जानकारी जब झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को हुई तो तत्काल उनके घर में 43 इंच का स्मार्ट टीवी और इन्वर्टर लगवाया गया था.
सलीमा के हॉकी के सपनों को पूरा करने के लिए उनकी बड़ी बहन अनिमा ने बेंगलुरू से लेकर सिमडेगा तक दूसरों के घरों में बर्तन मांजने का काम किया. वह भी तब, जब अनिमा खुद एक बेहतरीन हॉकी प्लेयर थीं. उन्होंने अपनी बहनों के लिए पैसे जुटाने में अपना करियर कुर्बान कर दिया.