रांची: झारखंड हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाया है. सुनवाई के दौरान अदालत ने झारखंड डीजीपी और जामताड़ा एसपी को तलब कर जवाब मांगा है. दरअसल, पुलिस ने बिना किसी सबूत और आरोप के जामताड़ा के रहने वाले शनिचर उरांव को हिरासत में ले लिया था. जिसके बाद उरांव की ओर से हाईकोर्ट में जमानत याचिका दर्ज की गई थी. याचिका की सुनवाई के दौरान केस डायरी में इस बात का खुलासा हुआ.
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एक रुपए की बांड पर दी गई जमानत:जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए और केस डायरी में कोई आरोप और सबूत नहीं पाए जाने पर हाई कोर्ट ने शनिचर उरांव को एक रुपए की बांड पर बेल दिया है. मामले में जामताड़ा के निचली अदालत के जज को निर्देशित किया कि हाईकोर्ट के आदेश का पालन कर जेल प्रशासन को निर्देशित किया जाए ताकि शनिचर उरांव 5 घंटे के भीतर जेल से रिहा हो सके. निर्देश का पालन कर हाई कोर्ट को अवगत कराने का भी निर्देश दिया है. इसके अलावा मामले में अदालत ने डीजीपी और जामताड़ा के एसपी को तलब कर जवाब मांगा है.
धीरज कुमार, अधिवक्ता, झारखंड हाई कोर्ट अदालत ने डीजीपी को मामले की केस डायरी पढ़ कर अदालत में हाजिर होने और जवाब देने का निर्देश दिया है. सुनवाई के दौरान अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि झारखंड पुलिस की कार्यशैली सही नहीं है. पुलिस ने ऐसे आदमी को जेल भेजा है जिसके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है और जांच में कोई आरोप भी नहीं पाया गया है. आरोप पत्र में एक भी आरोप साबित नहीं होने के बावजूद पीड़ित को हिरासत में रखा गया है.
क्या है पूरा मामला: झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश आनंद सेन की अदालत में इस जमानत याचिका पर सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि जामताड़ा में साल 2001 में एक घटना हुई थी, जिसमें शनिचर उरांव के एक पड़ोसी की पत्नी ने आत्महत्या कर ली. उसके पति ने दौड़ कर शनिचर उरांव को बुलाया. मानवता के नाते उसने अपने पड़ोसी की मदद की. उसके पास बैठा रहा. वह व्यक्ति गांव के अन्य लोगों को बुलाने के लिए गया. मौके पर पुलिस भी वहां पहुंची. उस वक्त शनिचर को वहां बैठा देख पुलिस ने उसे ही आरोपी बनाकर जेल भेज दिया. चार्ज शीट भी दायर कर दी. निचली अदालत से उसकी जमानत याचिका खारिज हो गई. उसके बाद शनिचर उंराव ने जमानत के लिए हाईकोर्ट में गुहार लगायी.