रांची: पारिवारिक विवाद और गुजारा भत्ता से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि पारिवारिक विवाद के चलते अलग रह रही पत्नी का भरण-पोषण पति का कानूनी और नैतिक दायित्व है, लेकिन इसके नाम पर पति पर इस तरह बोझ भी नहीं डाला जाना चाहिए कि शादी उसके लिए सजा बन जाए.
ये भी पढ़ें-झारखंड हाईकोर्ट ने सीएम हेमंत सोरेन की याचिका की खारिज, जानिए ईडी मामले में अब क्या है उनके पास रास्ता
जस्टिस सुभाष चांद की कोर्ट ने धनबाद फैमिली कोर्ट के एक आदेश के खिलाफ दायर की गई एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. फैमिली कोर्ट ने अलग रह रही पत्नी के लिए गुजारा भत्ता के तौर पर प्रतिमाह 40 हजार रुपए देने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट ने पूरे मामले की सुनवाई के बाद इस रकम को घटाकर 25 हजार रुपए प्रतिमाह तय करने का आदेश दिया है.