रांची: दुमका दवा और मेडिकल उपकरण खरीद घोटाला मामले के आरोपी की मामले की सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई कि जिस मामले को हाई कोर्ट ने 28 जून 2013 को निरस्त करने का आदेश पारित किया था. उसके बावजूद भी उस मामले के अन्य आरोपियों पर एसीबी की विशेष अदालत में यह मामला चलता रहा. 11 जून को जब अन्य आरोपी के मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई के समक्ष यह मामला आया तो उन्होंने कहा कि इस मामले को तो 7 वर्ष पूर्व ही निरस्त कर दिया गया है. लिहाजा, इसलिए इस मामले को निष्पादित किया जाता है. निचली अदालत को हिदायत दी जाती है कि इन आरोपियों पर किसी भी प्रकार का आरोप नहीं रह जाता है. उन्होंने यह भी कहा कि हाई कोर्ट के आदेश को एसीबी ने किसी अदालत में चुनौती नहीं दी है.
हाई कोर्ट के न्यायाधीश अनिल कुमार चाैधरी की अदालत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई करते हुए प्रार्थियों और एसीबी का पक्ष सुना. अदालत ने याचिका को निष्पादित करते हुए कहा कि झारखंड हाई कोर्ट ने नरेश कुमार रस्तोगी के मामले को 28 जून 2013 को खारिज कर दिया है. पारित आदेश का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि जब पूरा मुकदमा खारिज हो चुका है, एसीबी ने आदेश को चुनाैती नहीं दी है, तो निचली अदालत किसी भी आरोपी के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकती है.
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झारखंड हाई कोर्ट में मामला रद्द होने के बाद भी चलता रहा केस, सात साल बाद सामने आया सच - drug scam in Jharkhand
दुमका दवा और मेडिकल उपकरण खरीद घोटाला मामले को झारखंड हाई कोर्ट ने 28 जून 2013 को निरस्त करने का आदेश पारित किया था. उसके बावजूद भी उस मामले के अन्य आरोपियों पर एसीबी की विशेष अदालत में यह केस चलता रहा.
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बता दें कि प्रार्थी तत्कालीन एसीएमओ डॉ. दशरथ मांझी और आपूर्तिकर्ता संजय कुमार रूंगटा ने अलग-अलग क्वैशिंग याचिका दायर कर विशेष अदालत के नाै दिसंबर 2011 को पारित संज्ञा आदेश को चुनाैती दी थी. दुमका दवा खरीद घोटाला मामले में ही इन्हें भी आरोपी बनाया गया था. निचली अदालत के द्वारा लिए गए संज्ञान को उन्होंने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. उस याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बातें सामने आई. वर्ष 2003 में दुमका में दवा और मेडिकल उपकरण की खरीद में नियम की अनदेखी की गई थी. उसी मामले में एसीबी को जांच का जिम्मा सौंपा गया था, जिसमें 21 लोगों को आरोपी बनाया गया था.