झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / state

धनबाद जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश को हाई कोर्ट ने किया रद्द, चपरासी माला मंडल को योगदान का आदेश - झारखंड हाई कोर्ट

राज्य के शिक्षा विभाग में चपरासी माला मंडल की सेवा बर्खास्त करने के आदेश को हाई कोर्ट ने गलत मानते हुए विभाग को उसे शीघ्र योगदान कराने का आदेश दिया है. झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश एस चंद्रशेखर की अदालत में शिक्षा विभाग के चपरासी माला मंडल की सेवा बर्खास्त की के मामले पर सुनवाई हुई.

jharkhand High court quashed the order
झारखंड हाई कोर्ट

By

Published : May 22, 2020, 12:00 AM IST

रांची: शिक्षा विभाग में चपरासी माला मंडल की सेवा बर्खास्त करने के आदेश को हाई कोर्ट ने गलत मानते हुए विभाग को उसे शीघ्र योगदान कराने का आदेश दिया है. धनबाद जिला शिक्षा पदाधिकारी ने उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया था. उसी आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी. उस याचिका पर अदालत ने उसे शीघ्र योगदान कराने और सेवा से हटाने की अवधि से लेकर अभी तक की आधा वेतन देने का आदेश दिया है.

और पढ़ें-बीजेपी का कटाक्ष: सोनिया भवन से चल रही झारखंड की सरकार, कांग्रेस ने भी किया पलटवार

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा

झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश एस चंद्रशेखर की अदालत में शिक्षा विभाग के चपरासी माला मंडल की सेवा बर्खास्त की के मामले पर सुनवाई हुई. न्यायाधीश ने अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की. वहीं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मनोज टंडन ने और सरकार के अधिवक्ता ने अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के उपरांत जिला शिक्षा पदाधिकारी की ओर से सेवा बर्खास्त किए जाने के आदेश को रद्द करते हुए सरकार को उसे शीघ्र योगदान कराने का आदेश दिया है. साथ ही उन्हें हटाए गए अवधि से लेकर अभी तक के अवधि का 50% वेतन का भुगतान करने का आदेश दिया है.

सुनवाई के दौरान मनोज टंडन ने बताया कि 8 वर्ष बीत जाने के बाद बिना विभागीय कार्रवाई के किसी कर्मचारी को हटाना गलत है. उन्होंने यह भी कहा कि अनुशंसा कमेटी के अनुशंसा पर इनकी नियुक्ति की गई थी इसे इस तरह से हटाया जाना गलत है. इसलिए उन्हें फिर से योगदान कराने की अनुमति दी जाए. अदालत ने उनके आग्रह को स्वीकार करते हुए उसे योगदान कराने का आदेश दिया. बता दें कि माला मंडल के पति के निधन के बाद अनुकंपा के आधार पर चपरासी में उनकी नियुक्ति हुई थी. सेवा के 8 वर्ष बीत जाने के बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी ने उसे यह कहते हुए हटा दिया था कि वह आठवां पास नहीं है. उन्होंने अधिकारी के इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी. उस याचिका पर अदालत ने सुनवाई कर दोनों पक्षों को सुनने के बाद अधिकारी के आदेश को रद्द करते हुए उसे योगदान कराने का आदेश दिया है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details