रांचीः प्रखंडस्तरीय श्रमिक मित्रों की सेवा समाप्त करने के आदेश पर झारखंड हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है. अदालत के इस आदेश से राज्य के श्रमिक मित्रों को बड़ी राहत मिली है. अदालत ने झारखंड सरकार के आदेश पर रोक लगाते हुए टिप्पणी की है कि कोरोना काल में सरकार को रोजगार देना चाहिए. लेकिन सरकार रोजगार छीन रही है. इसके साथ ही इस मामले में जवाब मांगा गया है.
सरकार के आदेश पर झारखंड हाई कोर्ट ने लगाई रोक, कहा- देने के बजाय रोजगार छीन रही है सरकार
श्रमिक मित्रों को हटाने वाले आदेश पर झारखंड हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है. न्यायाधीश डॉ. एसएन पाठक की अदालत में श्रमिक मित्रों को हटाने संबंधित आदेश को चुनौती देनेवाली याचिका पर सुनवाई हुई. अलदात ने सुनवाई के बाद सरकार के आदेश पर रोक लगाते हुए जवाब मांगा है.
यह भी पढ़ेंःझारखंड हाई कोर्ट ने सरकार के आदेश को किया निरस्त, कहा- 4 सप्ताह में दें प्रमोशन
झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश डॉ. एसएन पाठक की अदालत में श्रमिक मित्रों को हटाने संबंधी आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई की गई. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि श्रमिक मित्रों की प्रखंड में नियुक्ति वर्ष 2015 में असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए की गयी थी. एक मजदूर के निबंधन पर श्रमिक मित्र को सिर्फ 15 रुपये मिलते हैं और 50 से अधिक निबंधन कराने पर 5 रुपये अतिरिक्त मिलते हैं. सरकार इनका मानदेय नहीं बढ़ा रही है. इन श्रमिकों की सेवा समाप्त कर पंचायत स्तर पर नियुक्ति कर रही है. अदालत में सरकार की ओर से भी पक्ष रखा गया. सुनवाई पूरी करने के बाद अदालत ने सरकार के आदेश पर रोक लगा दी और सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. बता दें कि याचिकाकर्ता अल्फ्रेड खलखो ने सरकार के आदेश को चुनौती दी है, जिसपर सुनवाई हुई.