रांचीः झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में कोडरमा में जमीन अधिग्रहण के लिए अधिसूचित करने के खिलाफ दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से जवाब दाखिल नहीं किए जाने पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई. कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि सरकार के अधिकारी कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करते हैं और अवमानना के मामले को हल्के में ले रहे हैं. अदालत ने कोडरमा उपायुक्त, सीओ, एडिशनल कलेक्टर और एलआरडी को अवमानना का नोटिस जारी किया है. अदालत ने पूछा है कि क्यों नहीं आपके खिलाफ अवमानना का मामला चलाया जाए. अगली सुनवाई के दौरान सभी अधिकारियों को अदालत में उपस्थित होकर जवाब देना है.
झारखंड हाई कोर्ट ने कोडरमा डीसी, सीओ, एडिशनल कलेक्टर और एलआरडीसी को दिया नोटिस, हाजिर होकर दें जवाब
झारखंड हाई कोर्ट ने कोडरमा डीसी, सीओ, एडिशनल कलेक्टर और एलआरडीसी को नोटिस दिया है. इसको लेकर सभी अधिकारियों को अदालत में उपस्थित होकर जवाब देना है. कोडरमा में जमीन अधिग्रहण के लिए अधिसूचित करने के खिलाफ दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई.
इसे भी पढ़ें- झारखंड हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा- बिना जमीन अधिग्रहण किए कैसे बनाई जा रही है सड़क
इस संबंध में रेखा अग्रवाल ने अवमानना याचिका दाखिल की है. सुनवाई के दौरान कहा गया कि वर्ष 2014 में उनकी जमीन को कोडरमा उपायुक्त की ओर से अधिग्रहण करने के लिए अधिसूचित कर दिया गया. इसके खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गयी. वर्ष 2018 में अदालत ने इनकी जमीन के अधिग्रहण की अधिसूचना को रद्द कर दिया. अदालत ने सीओ को निर्देश दिया कि जमाबंदी को लेकर यथोचित कार्रवाई करें. इसके लिए राज्य सरकार ने अपील दाखिल की लेकिन अपील खारिज हो गयी. इसके बाद अदालत ने रिव्यू याचिका दाखिल की. इस बीच प्रार्थी की ओर से अवमानना याचिका दाखिल की गयी. पूर्व में सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि जब इस मामले में दाखिल रिव्यू याचिका पर कोई रोक नहीं लगी है तो राज्य सरकार कोर्ट के आदेश का अनुपालन करें.
इस पर झारखंड हाई कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान सरकार से जवाब भी मांगा था. लेकिन सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से ना तो कोई जवाब दाखिल किया गया और ना ही रिव्यू याचिका की अद्यतन जानकारी दी गयी. इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कोडरमा उपायुक्त, सीओ, एलआरडीसी और अतिरिक्त कलेक्टर को अवमानना का नोटिस जारी किया है. अगली सुनवाई के दौरान सभी अधिकारियों को अदालत में उपस्थित होकर जवाब देना है.