रांचीःनन बैंकिंग कंपनियों में पैसे जमा कर निकासी के लिए परेशान निवेशकों के हित में झारखंड हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. नन बैंकिंग अभिरक्षा निवेशक सुरक्षा समिति की जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि 45 दिन के भीतर हाई लेवल कमेटी बनाएं और निवेशकों के डूबे पैसे को मुहैया कराएं. झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायाधीश आनंद सेन की अदालत ने यह आदेश देने के बाद सुनवाई की अगली तारीख आठ नवंबर निर्धारित की है. खास बात है कि हाईकोर्ट से रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी बनाने का आदेश दिया गया है. कमेटी में बोर्ड ऑफ रेवेन्यू के सचिव और सीबीआई के डीआईजी रैंक के अधिकारी सदस्य होंगे. कमेटी बनाकर 45 दिन के भीतर नोटिफिकेशन जारी करना है.
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25000 करोड़ से अधिक रुपए चिटफंड कंपनियों में डूबे पड़े हैंः याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव कुमार ने बताया कि झारखंड के लाखों लोगों के 25 हजार करोड़ से ज्यादा रुपए अलग-अलग चिटफंड कंपनियों में डूबे पड़े हैं. सभी कंपनियां अवैध तरीके से संचालित हो रहीं थी. इसको हाईकोर्ट ने बेहद गंभीर मसला बताते हुए लोगों के पैसे वापस लौटाने की दिशा में पहल सुनिश्चित कराने का आदेश दिया है.
जानिए क्या है पूरा मामलाः दरअसल, झारखंड में चिटफंड कंपनियों में निवेश के बाद पैसे वापसी के लिए निवेशक परेशान हैं. कंपनियों ने अधिक ब्याज का लालच देकर पैस तो जमा करा लिया, लेकिन बाद में लौटाने की बारी आई तो टालमटोल करने लगे. ऐसी चिटफंड कंपनियां आरबीआई के गाइडलाइन का उल्लंघन कर संचालित की जा रही थी. मामला उजागर होने के बाद सीबीआई ने कई चिटफंड कंपनियों को ब्लैक लिस्ट कर संपत्ति सीज कर दी थी. इसका सबसे ज्यादा असर छोटे निवेशकों पर पड़ा है. सीज किए गए पैसे एजेंसी की देखरेख में बैंकों में रखे गए हैं. इस मसले पर हाईकोर्ट में याचिका दायर हुई थी. कई राज्यों में कमेटी बनाकर चिटफंड कंपनियों को घोटालों के शिकार निवेशकों के पैसे लौटाए जा रहे हैं. अब झारखंड के निवेशकों के भी डूबे पैसे वापस दिलाए जाएंगे.
बताते चलें कि मामले में पूर्व में राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि सीआईडी के आईजी की अध्यक्षता में छह सदस्यीय कमेटी बनाई गई है. यह कमेटी निवेशकों को चिन्हित कर पैसे वापस कराएगी, लेकिन हाईकोर्ट ने सरकार के इस प्रस्ताव को खारिज कर वन मैन कमेटी बनाने के लिए निर्णय लेने को कहा था, लेकिन इस दिशा में सरकार के स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं होने पर हाईकोर्ट ने तीन सदस्यीय कमेटी बनाने का आदेश जारी कर दिया है.