रांचीः झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था हमेशा सवालों के घेरे में रही है. समय पर इलाज नहीं करने, दवाई की कमी और टालमटोल वाले रवैये के कारण गरीब मरीजों को भारी खामियाजा उठाना पड़ता है. इन बातों को देखते हुए राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों के शिक्षकों की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय करने की योजना तैयार की हैै. अब मेडिकल कॉलेज के शिक्षकों को हर माह न सिर्फ यह बताना होगा कि उन्होंने कितनी कक्षाएं ली हैं बल्कि यह भी बताना होगा कि कितने मरीजों का इलाज किया है. हर माह इस डिटेल को मेडिकल कॉलेज के वेबसाइट पर भी अपलोड करना होगा.
स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरूण कुमार सिंह ने इस बाबत सभी राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय के प्राचार्यों और रिम्स निदेशक को एक फॉर्मेट के साथ निर्देश जारी किया है. उनका कहना है कि शिक्षकों का मासिक शैक्षणिक और चिकित्सीय कार्यों का कैलेंडर निर्धारित नहीं होने और अनुपालन नहीं होने से ऐसे शिक्षकों के द्वारा पठन-पाठन की अवधि के दौरान सरकार के निर्देशों के प्रतिकूल अन्य कार्य किए जाते हैं. इसकी वजह से न सिर्फ मेडिकल कॉलेज का शैक्षणिक वातावरण प्रभावित होता है बल्कि छात्रों की पढ़ाई भी प्रभावित होती है.
क्या है फॉर्मेट: विभाग की ओर से मेडिकल कॉलेज के शिक्षकों के लिए 8 कॉलम का फॉर्मेट तैयार किया गया है, जिसे वेबसाइट पर अपलोड करना है. इसमें विभाग का नाम, चिकित्सा शिक्षक का नाम, पदनाम, पदस्थापन की तिथि, शैक्षणिक कार्य दिवस, चिकित्सीय कार्य दिवस और रिमार्क्स का जिक्र करना होगा.