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टीबी मरीज समय पर दवा लेता है या नहीं बताएगा MERM BOX, जानिए कैसे? - Medication Event Reminder Monitoring

झारखंड स्वास्थ विभाग हाईटेक हो रहा है. झारखंड में यक्ष्मा (ट्यूबरक्यूलोसिस) उल्मूलन की दिशा में नई पहल की गयी है. टीबी के मरीज की मशीनों से निगरानी होगी. इसके लिए MERM BOX को इस्तेमाल में लाया जाएगा. जो मरीजों के दवाइयां लेने से संबंधित पूरी जारी संबंधित डॉक्टर्स को रहेगी. आइए जानते हैं क्या है MERM BOX और ये कैसे काम करता है.

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Published : Jun 21, 2022, 4:22 PM IST

रांची: आज भी झारखंड में यक्ष्मा यानी टीबी (ट्यूबरक्यूलोसिस) एक बड़ी समस्या है. आज भी झारखंड में करीब 50 हजार मरीज टीबी जैसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं. स्वास्थ्य विभाग टीबी के मरीज को ठीक करने के लिए लगातार प्रयासरत है. स्वास्थ विभाग के सैकड़ों कर्मचारी टीबी के मरीजों के निगरानी में लगे रहते हैं ताकि मरीज को सही समय पर दवा मिल सके और टीबी उन्मूलन अभियान की गति बढ़ सके.

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टीबी को जड़ से समाप्त करने के लिए अस्पताल में टीबी मरीजों को दवाओं के साथ-साथ प्रत्येक रोगियों को खानपान के लिए 500 रुपया प्रति माह का सहयोग भी सरकार दे रही है. यह सभी सुविधाएं टीबी उन्मूलन के लिए पर्याप्त नहीं हो रही है. इसी को देखते हुए झारखंड में यूनाइटेड स्टेट एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) की मदद से वर्ल्ड हेल्थ पार्टनर सपोर्ट (WHP) के द्वारा मर्म दवाई बॉक्स की शुरुआत की गयी है. मर्म दवाई बॉक्स (MERM BOX) के द्वारा डिजिटलाइज तरीके से मरीजों पर निगरानी रखी जाती है.

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टीबी मरीज की डिजिटलाइज्ड तरीके से मॉनिटरिंगः झारखंड में मर्म बॉक्स के ऊपर काम कर रहे शिव्यांशू वर्मा बताते हैं कि यह एक ऐसा डब्बा है, जिसमें ट्यूबरक्लोसिस के मरीज अपनी दवा रखते हैं. यह डब्बा पूरी तरह से डिजिटलाइज्ड है और इसमें ऐसी तकनीक है जिससे यह पता चलता है कि मरीज डिब्बे को कितनी बार खोल रहे हैं और डिब्बे के अंदर कितनी दवाइयां बची हैं. िब्बे को लेकर उन्होंने बताया कि इस बक्से में लगे डिजिटल चिप से यह जानकारी होती है कि मरीज इस दवा को ले रहा है या फिर नहीं.


शिव्यांशु वर्मा ने बताया कि इस बक्से को जैसे ही मरीज खोलता है कि वैसे ही उनके सेंट्रल टीबी डिवीजन (CTD) के निक्षय (NIKSHAY) डैशबोर्ड पर बैठे अधिकारी तुरंत यह जान लेते हैं कि मरीज ने डिब्बे को खोला है और उससे दवा निकालकर समय पर खाया है. कोई मरीज समय पर दवा नहीं खाता है तो उसकी जानकारी भी इस डब्बे में लगे डिजिटल चिप के माध्यम से स्टेट टीबी ऑफिसर या डिस्ट्रिक्ट टीवी ऑफिसर तक पहुंच जाती है.


हेल्थ सपोर्ट के स्टेट मैनेजर राजीव सिंह बताते हैं कि यह मशीन देश को टीबी मुक्त बनाने में अहम योगदान निभाएगा. वर्ष 2025 तक पूरा देश टीबी मुक्त होने की दिशा में काम कर रहा है. जिसमें इस मशीन का सबसे ज्यादा उपयोग होगा. फिलहाल यह मशीन पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर करीब 500 मरीजों पर उपयोग किया जा रहा है. इस मशीन को पूरी तरह से सिस्टम में लाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी प्रयासरत हैं.

राज्य यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. रंजीत प्रसाद बताते हैं कि इस मशीन को राज्य सरकार की तरफ से भी जल्द से जल्द पूरी तरह से क्रियान्वित करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. फिलहाल करीब सात जिलों में टीबी के मरीज की निगरानी इस MERM BOX से की जा रही है. ईटीवी भारत की टीम ने जब इस मशीन के बारे में जानकारी प्राप्त की तो हमने भी देखा इस मशीन की तकनीक से टीबी के मरीजों पर कार्यालय में बैठे अधिकारी बिना गए ही निगरानी रख सकते हैं. MERM BOX की वजह से स्वास्थ्य विभाग को सैकड़ों कर्मचारियों को काम का बोझ कम होगा और डिजिटलाइज तरीके से मरीजों का रिकार्ड और उसकी निगरानी रखी जा सकेगी.

कैसे काम करता हैः सामान्य टीबी रोगी समय पर दवाइयां लें, इसके लिए मरीज गोली खाने के लिए डिब्बा खोलने पर सेंट्रल टीबी डिवीजन को पता चल जाता है. इसके साथ ही यह बॉक्स मरीज को दवा लेने की याद भी दिलाता है. इस इलेक्ट्रानिक बॉक्स में एक खास तरह की चिप लगी है. जैसे ही मरीज दवा खाने के लिए बॉक्स खोलता है, टीबी विभाग को इसकी जानकारी मिल जाती है. मरीज दवाओं की खुराक भूले नहीं इसके लिए इसमें लगा अलार्म भी उन्हें दवा लेने की याद दिलाता है. फिर उनके द्वारा फोन कर मरीज को दवा लेने के लिए याद दिलाई जाएगी.

वर्ष 2021 में झारखंड की धरती से ही MERM BOX (Medication Event Reminder Monitoring) की शुरुआत की. जिसके बाद धीरे-धीरे अन्य राज्यों की सरकारों ने भी टीबी के मरीजों के उन्मूलन के लिए इस मशीन का उपयोग सुचारू रूप से शुरू कर दिया है. इस मशीन की तकनीक से सुदूर और ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे मरीजों पर भी स्वास्थ विभाग निगरानी कर सकता है और टीबी को समाप्त करने में इस मशीन का उपयोग विभाग के लिए वरदान साबित हो सकता है.

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