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नगर निकायों में चुनाव का रास्ता साफ, हाईकोर्ट का सरकार को आदेश, तीन हफ्ते में जारी करें अधिसूचना

HC Orders Govt To Conduct Local Body Election. झारखंड में जल्द ही निकाय चुनाव हो सकते हैं. इसके बारे में झारखंड हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला देते हुए सरकार को तीन हफ्ते के अंदर अधिसूचना जारी करने का आदेश दिया है.

Jharkhand HC
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 4, 2024, 5:56 PM IST

Updated : Jan 4, 2024, 6:14 PM IST

प्रार्थी के वकील का बयान

रांची:झारखंड में लंबित नगर निकाय चुनाव का रास्ता खुल गया है. जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने पार्षद अरुण झा, रोशनी खलखो समेत अन्य की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि तीन सप्ताह के भीतर राज्य में नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करें.

कोर्ट ने अपने आदेश की कॉपी राज्य के मुख्य सचिव, नगर विकास विभाग, रांची नगर निगम और राज्य निर्वाचन आयोग को फैक्स के जरिए फौरन मुहैया कराने का भी निर्देश दिया है. प्रार्थी के अधिवक्ता विनोद कुमार ने बताया कि हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को आदेश दिया है कि तीन सप्ताह के भीतर चुनाव की अधिसूचना जारी कर देना है.

राज्य सरकार का स्टैंड था कि ट्रिपल टेस्ट कराने के बाद ही चुनाव कराया जाना चाहिए. इसपर हाईकोर्ट ने कहा कि सुरेश महाजन बनाम मध्य प्रदेश मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया था कि ट्रिपल टेस्ट कराना एक कॉमप्लेक्स प्रोसेस और निरंतर प्रक्रिया का हिस्सा है. राज्य सरकार ने शपथ पत्र के जरिए तर्क रखा था कि एक कमीशन बनाएंगे, उसको पिछड़ा वर्ग आयोग हेड करेगा. लेकिन संयोगवश अभी तक आयोग में चेयरमैन की नियुक्ति भी नहीं हुई है. तब कितना दिन और चुनाव को टाला जा सकता है.

संविधान के अनुच्छेद 243 (u) और स्टेट म्युनिसिपल एक्ट 2011 में भी इस बात का जिक्र है कि पांच साल में चुनाव करा लेना है. रांची नगर निगम के वार्ड संख्या 26 के पूर्व पार्षद और याचिकाकर्ता अरुण कुमार झा ने बताया कि राज्य सरकार ओबीसी आरक्षण को लेकर टालमटोल कर रही थी. इसपर अधिवक्ता विनोद कुमार ने कोर्ट को बताया कि ओबीसी आरक्षण के नाम पर चुनाव को टालने से संविधान की मूल अवधारणा प्रभावित हो रही है. चुनाव नहीं होने की वजह से लोगों को मूलभूत सुविधाओं के लिए परेशानी झेलनी पड़ रही है.

इससे पहले याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि पंचायत चुनाव कराने में भी विलंब हुआ था. तब पंचायत प्रतिनिधियों को विशेष अधिकार दिया गया था. लिहाजा, जब तक नगर निकाय चुनाव नहीं होता है, तब तक पार्षदों को भी अधिकार दिया जाना चाहिए. याचिकाकर्ताओं ने पंचायत वाली व्यवस्था लागू करने के बजाए नगर निगम में प्रशासक नियुक्त करने के आदेश पर भी आपत्ति जताई थी.

आपको बता दें कि राज्य में कुल 48 नगर निकाय हैं. इनमें 9 नगर निगम, 20 नगर परिषद और 19 नगर पंचायत हैं. सभी निकायों का कार्यकाल 2022 से 2023 के बीच अलग-अलग माह में पूरा हो गया था. लेकिन ओबीसी आरक्षण के मसले पर पूरी चुनावी प्रक्रिया ठंडे बस्ते में चली गई थी.

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Last Updated : Jan 4, 2024, 6:14 PM IST

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