जानकारी देते संवाददाता हितेश कुमार चौधरी रांची:मानवता अभी भी लोगों के दिलों में जिंदा है. इसका उदाहरण रांची एयरपोर्ट पर देखने को मिला. जहां दो युवक झारखंड के एक मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति को कर्नाटक से लेकर रांची पहुंचे. वह पांच वर्षों से कर्नाटक की गलियों में भटक रहा था. कुछ युवको ने गूगल की मदद से इसकी पहचान की. उन्हें पता चला की मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति झारखंड के चाईबासा का रहने वाला है. जिसके बाद उन्होंने इसे घर पहुंचाने की ठानी और कड़ी मेहनत के बाद उसके घर चाईबासा लेकर पहुंचे.
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युवकों ने ऐसे की विक्षिप्त की मददःकर्नाटक से रांची आए मोहम्मद जाबिर ने बताया कि विक्षिप्त पर सबसे पहले अब्दुल लतीफ की नजर पड़ी. अब्दुल लतीफ कर्नाटक स्थित संगम होटल के मालिक हैं. विक्षिप्त पिछले 5 वर्षों से ज्यादा समय से कर्नाटक के धर्मास्थला में भटक रहा था. अब्दुल लतीफ उसे अपने घर ले गए और उसका इलाज कराया. थोड़ा ठीक होने पर कुछ बोलना शुरू किया. मुंह से निकले उसके इन्हीं शब्दों से उसके घर जाने का रास्ता साफ हुआ.
गूगल सर्च से हुई युवक की पहचानःजब विक्षिप्त बोलने लगा तो कर्नाटक के स्थानीय लोगों ने भाषा और टोन को गूगल में सर्च कर युवक की पहचान की. कुछ अन्य जानकारियों से पता चला कि विक्षिप्त झारखंड के चाईबासा का रहने वाला है. उसके बारे में थोड़ी बहुत जानकारी होने के बाद स्थानीय समाजसेवी अब्दुल अजीज और कर्नाटक स्थित धर्मास्थला पुलिस स्टेशन के पुलिसकर्मी अनिल कुमार के सहयोग से विक्षिप्त की पहचान कर ली गई. विक्षिप्त को सही सलामत झारखंड पहुंचाने की जिम्मेदारी कर्नाटक के मोहम्मद जाबिर और प्रतीक को दी गई. दोनों उसे लेकर शनिवार को विमान से रांची पहुंचे.
घरवालों ने अपनाने से किया इंकारःजब झारखंड के चाईबासा के स्थानीय प्रशासन से संपर्क कर विक्षिप्त के घरवालों का पता लगाया गया. घर का पता मिलने के बाद सबको यह विश्वास था कि युवक अब अपने परिवार के बीच जीवन गुजारेगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. घरवालों ने विक्षिप्त को अपनाने से साफ मना कर दिया क्योंकि वह मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं था. हालांकि काफी समझाने के बाद उन्होंने उसे अपना लिया.