रांची:झारखंड सरकार ने मनरेगा की योजनाओं के लगभग 100 करोड़ की रकम की संदिग्ध निकासी की जांच शुरू कराई है. सरकार के ग्रामीण विकास विभाग ने सभी जिलों के उपायुक्तों से अवैध और संदिग्ध निकासी की रिपोर्ट मांगी है. प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि मनरेगा की योजनाओं के नाम पर प्राय: सभी जिलों में फर्जी खरीदारी की गई या फिर सामग्री की खरीदारी बेहद ऊंची दरों पर की गई. इन गड़बड़ियों में कई बड़े अफसरों की संलिप्तता हो सकती है. दो महीने पहले ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी.
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मनरेगा की योजनाओं में गड़बड़ियों का यह मामला लगभग डेढ़ साल पहले राज्य की तत्कालीन ग्रामीण विकास सचिव आराधना पटनायक ने पकड़ा था. उन्होंने पाया था कि मार्च 2020 के अंतिम सप्ताह में बड़े पैमाने पर राशि की निकासी की गई. अनुमानत: यह राशि 200 करोड़ के आसपास पाई गई थी. सचिव ने कहा था कि यह पूरी तरह से संदेहास्पद लग रहा है. उन्होंने इसकी उच्चस्तरीय जांच की भी अनुशंसा की थी. प्रथम दृष्टया यह पाया गया कि मनरेगा की योजनाओं में ईंट, स्टोन, पशु शेड इत्यादि के नाम पर फर्जी खरीदारी की गई है.