रांची:झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने राज्य विधानसभा द्वारा पारित जैन यूनिवर्सिटी बिल पर आपत्ति जताते हुए उसे राज्य सरकार को लौटा दिया है. उन्होंने सरकार से पूछा है कि राज्य में पहले से चल रही प्राइवेट यूनिवर्सिटीज में गड़बड़ियों की जांच के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं? सरकार और विधानसभा ने इसके लिए जो कमेटियां गठित की थी, उनकी रिपोर्ट कहां है और उन पर क्या कार्रवाई हुई है?
ये भी पढ़ें-सरकार को राजभवन का झटका, कृषि उपज और पशुधन विपणन विधेयक लौटाया, हिन्दी और अंग्रेजी संस्करण में थीं विसंगतियां
राज्यपाल ने बिल के हिंदी-अंग्रेजी ड्राफ्ट में अंतर और कुछ तकनीकी पहलुओं पर भी सवाल उठाया है. जैन यूनिवर्सिटी की स्थापना का बिल विधानसभा ने 21 मार्च 2023 को बजट सत्र के दौरान पारित किया था. विधेयक पर राज्यपाल की आपत्तियों का उल्लेख करते हुए राजभवन ने उसे मुख्य सचिव और विधानसभा अध्यक्ष को भेज दिया है. राजभवन ने प्राइवेट यूनिवर्सिटीज को लेकर इसके पहले भी 16 जून और 13 जुलाई को सरकार को पत्र लिखकर जांच रिपोर्ट और कार्रवाई की जानकारी मांगी थी.
बता दें कि उच्च शिक्षा विभाग ने निजी विश्वविद्यालयों में आधारभूत संरचना और अन्य कमियों की जांच के लिए उच्च शिक्षा निदेशक गरिमा सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी को निजी विश्वविद्यालयों में आधारभूत संरचना की कमी, किराए की बिल्डिंग में संचालन, ज्यादा फीस व अन्य आरोपों की जांच करनी थी. कमेटी में शिक्षाविदों को शामिल किया गया था.
कमेटी ने विभाग को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी. बताया जाता है कि इसमें कई बड़ी गड़बड़ियों को उजागर किया गया है पर अब तक किसी भी निजी यूनिवर्सिटी पर कार्रवाई नहीं हुई है. प्राइवेट यूनिवर्सिटी की गड़बड़ियों पर झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में हंगामा हुआ था. इसके बाद स्पीकर ने 22 मार्च 2023 को प्रो. स्टीफन मरांडी की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था. इसमें विनोद सिंह, केदार हाजरा, लंबोदर महतो और रामचंद्र सिंह को रखा गया था. इस कमेटी की जांच भी अब तक पूरी नहीं हुई है.
इनपुट- आईएएनएस