रांची: एक तरफ राज्य सरकार आम लोगों की छोटी मोटी परेशानी को दूर करने के लिए अधिकारियों को गांव में ले जाकर कैंप लगा रही है, वहीं दूसरी ओर इन कैंपो में जमा आवेदनों पर कार्रवाई नहीं होने की वजह से लोग परेशान हैं. लोगों के आवेदन का निष्पादन नहीं होने की मुख्य वजह 50 दिन से अधिक समय से राजस्व कर्मचारियों की हड़ताल को माना जा रहा है (Revenue Employees Strike). इन कर्मचारियों के माध्यम से जाति प्रमाण पत्र से लेकर लोगों को आवासीय एवं अन्य सरकारी सुविधाओं का लाभ लेने के लिए प्रमाण पत्र बनाई जाती है.
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सरकारी व्यवस्था से लोग परेशान: नामकुम के लाली गांव की महिलाएं सरकारी सिस्टम (Jharkhand government system) की बदहाली से बेहद परेशान हैं. नामकुम कार्यालय का चक्कर लगा लगाकर थक चुकी इन महिलाओं का मानना है कि ना तो उन्हें इंदिरा आवास की सुविधा मिली है और ना ही राशन कार्ड जैसे जरूरी कागजात बने हैं. हर बार आवेदन लेने के बावजूद नहीं बनाया जाता है.
एक तरह कैंप में समस्या का समाधान का भरोसा, दूसरी तरफ हड़ताल पर कर्मचारी: एक तरफ राज्य में इन दिनों सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के तहत कैंप लगाये जा रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ 11 सूत्री मांगों को लेकर राज्य के राजस्व उप निरीक्षक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. राजस्व उप निरीक्षकों के हड़ताल के कारण जाति, आवासीय और जमीन म्यूटेशन जैसे महत्वपूर्ण कार्य ठप पड़े हुए हैं.
क्या कहते हैं राजस्व कर्मचारी: अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गये राजस्व कर्मियों का मानना है कि सरकार ने पूर्व में हुए समझौते के अनुरूप मांग पूरा करने का काम नहीं किया. राजस्व उप निरीक्षकों की मांगों में बेसिक ग्रेड पे में वृद्धि, अंचल निरीक्षक सह कानूनगो को शत प्रतिशत प्रोन्नति से भरने, सीमित परीक्षा में शामिल होने के लिए न्यूनतम सेवा अवधि 5 वर्ष करने, राजस्व प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने, राजस्व उप निरीक्षकों को लैपटॉप और अन्य नेट सुविधा प्रदान करने, क्षेत्र भ्रमण के लिए दो पहिया वाहन उपलब्ध कराने, हल्का इकाई का पुनर्गठन करने एवं राजस्व उप निरीक्षकों के रिक्त पदों को अविलंब भरने की मांग है. इधर 4 नवंबर को सरकार से हुई वार्ता विफल हो गई है. बेसिक ग्रेड पे के मुद्दे पर कमिटी गठित करने की सहमति नहीं बनने की वजह से हड़ताल जारी है. हालांकि, सोमवार शाम हुई वार्ता के बाद कर्मचारियों ने हड़ताल खत्म करने का निर्णय लिया था. लेकिन एक गुट हड़ताल खत्म करने पर राजी है तो दूसरा मांग पर अड़ा है. ऐसे में अब तक हड़ताल खत्म नहीं हुई है. हड़ताली राजस्व उप निरीक्षकों ने साफ शब्दों में कहा है कि आम लोगों को हो रही परेशानी के लिए सरकार जिम्मेदार है ना की कर्मचारी.