रांची: देश के दूर-दराज इलाकों में सेना के लिए सड़क बनाने वाली एजेंसी बॉर्डर रोड आर्गेनाइजेश लिए मजदूर के रूप में काम करने वाले मजदूरों के अधिकारों के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कड़ी आवाज उठाई है. साथ ही इस बाबत उन्होंने बीआरओ को झारखंड से मजदूर के रूप में काम करने वाले अनूसूचित जनजाति के लोगों को ले जाने के पहले एक एमओयू साइन करने को भी कहा है. इसको लेकर मुख्यमंत्री सचिवालय से पत्र लिखा गया है, जिसमें मजदूरों के हितों की वकालत की गई है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का ने इस बाबत पत्र लिखकर बीआरओ मुख्यालय को साफ कहा है कि सरकार मजदूरों के लिए एक मसौदा तैयार किया है. जिस पर बीआरओ के अधिकारियों, झारखंड के श्रम विभाग को हस्ताक्षर है. इससे संस्थागत रूप से मजदूर राज्य से लेह और लद्दाख जैसे दुर्गम इलाकों पर काम करने जा सकेंगे. दरअसल, 1970 से पहले से ही अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोग लेह, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश इलाकों में सड़क बनाने के लिए जाते रहे हैं.
बीआरओ झारखंड के मजदूरों को ठेकेदारों की मदद से बाहर ले जाया जाता रहा है. इस वजह से कई बार वह उन बिचौलियों के शिकार भी हो जाते थे. कोरोना महामारी के वजह से लॉकडाउन में जब चीजें साफ उभरकर आई हैं. इस बाबत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खुद हस्तक्षेप किया. इस बात की जानकारी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भी दी गई है. मुख्यमंत्री ने बीआरओ से स्पष्ट कहा है कि उन्हें लिखित रूप से इन मजदूरों की सेवा के बदले में एक गारंटी देनी होगी, जिससे उन मजदूरों के हितों का संरक्षण हो सके.