रांची: राज्य सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर तीरंदाजों को प्रोत्साहित किया है. शुक्रवार को खिलाड़ी कल्याण कोष के तहत रिकर्व धनुष खरीदने के लिए कमालिका को दो लाख 70 हजार, जबकि कृष्णा और अर्शिता को दो लाख 50 हजार की राशि प्रदान की है. इन तीरंदाजों ने राज्य सरकार से सहायता की गुहार लगाई थी.
अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में ले सकेंगे हिस्सा
तीरंदाज कोमालिका, कृष्णा और आश्रिता काफी खुश हैं. तीनों ने रिकर्व धनुष की बुकिंग करा ली है. जल्द चाईबासा के ये धनुर्धर रिकर्व धनुष से लक्ष्य पर निशाना साधते नजर आयेंगे. रिकर्व धनुष हाथों में थामने का जो सपना था, वह अब हकीकत में बदलने वाला है. आर्थिक रूप से कमजोर इन बच्चों को अपनी प्रतिभा दिखाने और राज्य का मान सम्मान बढ़ाने का अवसर मिलेगा. आश्रिता का कहना है कि इंडियन राउंड में जो धनुष बांस से बनी होती है, उसके जरिये सिर्फ भारत में ही आर्चरी का खेल खेला जा सकता था, लेकिन रिकर्व धनुष से अब विदेशों में भी खेलने का मौका मिलेगा. उसने बताया कि इस खुशी को वह बयां नहीं कर सकती है. राज्य सरकार को इस प्रोत्साहन के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद. कृष्णा को भी नये धनुष का इंतजार है. उसका कहना है कि समय पर सरकार की मदद मिलने से ओलंपिक में भाग लेने का सपना पूरा होगा. वह अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में हिस्सा ले सकेगा.
रिकर्व धनुष नहीं होने से थी परेशानी
चाईबासा निवासी कोमालिका बारी, आश्रिता बिरुली और कृष्णा पिंगुआ तीरंदाज हैं. तीनों बेहद गरीब परिवार के बच्चे हैं, लेकिन धनुष-बाण से लक्ष्य भेदने में माहिर कोमालिका राज्य की उभरती हुई अंतरराष्ट्रीय तीरंदाज है, जिसने स्वीडन में आयोजित वर्ल्ड यूथ आर्चरी चैंपियनशिप 2018 में स्वर्ण पदक प्राप्त कर देश का मान बढ़ाया था. आगामी ओलिंपिक के लिये भी कोमालिका का चयन हुआ है और वह इन दिनों पुणे में ओलिंपिक कैंप में प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है. आश्रिता ने 2019 में ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी आर्चरी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक प्राप्त किया है. कृष्णा ने खेलो इंडिया आर्चरी चैंपियनशिप 2017 में रजत और 64वीं राष्ट्रीय विद्यालय तीरंदाजी प्रतियोगिता 2019 में स्वर्ण पदक प्राप्त किया है, लेकिन रिकर्व धनुष नहीं होने के कारण तीनों बेहतर ढंग से अभ्यास नहीं कर पा रहे थे.
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कल्याण कोष से खिलाड़ियों को आर्थिक सहायता प्रदान की गई
गरीबी की वजह से सभी तीरंदाज नए धनुष खरीद पाने में असमर्थ थे, लेकिन राज्य सरकार इनकी प्रतिभा से अवगत थी. इनकी प्रतिभा और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक प्राप्ति की संभावनाओं को देखा गया. फिर इन्हें प्रोत्साहित करने हेतु राज्य सरकार की ओर से खिलाड़ी कल्याण कोष के तहत रिकर्व धनुष खरीदने के लिये कोमालिका को दो लाख 70 हजार, कृष्णा और आश्रिता को दो लाख 50 हजार की राशि प्रदान की गई. इन तीरंदाजों के अतिरिक्त तीरंदाज जगरनाथ गागराई और गुनाराम पूर्ति को रिकर्व धनुष के लिए दो लाख 50 हजार रुपये, राष्ट्रीय स्तर की कराटे की खिलाड़ी विमला मुंडा की कमजोर आर्थिक स्थिति को देखते हुए एक लाख की आर्थिक मदद और लकवा ग्रस्त हॉकी प्रशिक्षिका प्रतिमा बरवा को एक लाख 50 हजार की आर्थिक सहायता खिलाड़ी कल्याण कोष से प्रदान की गई.
खेल के विकास के लिये अग्रसर सरकार
जिला स्तर पर खेल को बढ़ावा देने के उदेश्य से सभी 24 जिला में 24 जिला क्रीड़ा पदाधिकारियों को नियुक्ति पत्र के साथ पदस्थापन किया गया. झारखंड के इतिहास में पहली बार जिलों में खेल पदाधिकारियों की नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त हुआ है. सरकार खेल निति को जल्द लागू करने की दिशा में काम कर रही है. खिलाड़ी कल्याण कोष और खेल छात्रवृत्ति सम्मान राशि के तहत 260 खिलाड़ियों को नगद पुरस्कार राशि के रूप में 69 लाख 70 हजार और 256 खिलाड़ियों को खेल छात्रवृत्ति के रूप में 85 लाख 72 हजार 800 की राशि दी गई. महिला फुटबॉल विश्व कप हेतु चयनित 35 खिलाड़ियों का “नेशनल कैंप” का आयोजन झारखंड में होने वाला है. U- 17 महिला फुटबॉल विश्व कप के लिए चयनित झारखंड के आठ खिलाड़ियों को बिरसा मुंडा फुटबॉल स्टेडियम मोरहाबादी में प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध कराई गई. इस तरह राज्य सरकार झारखंड में खेल और खिलाडियों को बढ़ावा देने के लिये लगातार प्रयास कर रही है.