रांचीः झारखंड में चल रही सीएम हेमंत सोरेन की जेएमएम कांग्रेस राजद महागठबंधन सरकार ने 1000 दिन पूरे कर लिए (Thousand days of Hemant Soren Government) हैं. इन 999 दिनों के कामकाज में हेमंत सरकार ने कई अहम फैसले लिए. इस दौरान जनता के कई अहम मुद्दों को एड्रेस किया. ये झारखंड के लिए काफी बड़ी बात कही जा सकती है लेकिन कई सवाल ऐसे भी हैं जो हेमंत सरकार के 999 दिन के कामकाज पर बट्टा लगाते हैं.
सबसे पहले अगर एक हजार दिन के हेमंत सरकार के कामकाज (Jharkhand government completes 1000 days) की बात करें तो कई ऐसी नीतियां हैं जो हेमंत सोरेन सरकार लेकर आई. झारखंड की नई औद्योगिक नीति, झारखंड की नई खेल नीति, झारखंड की नई पर्यटन नीति हेमंत सोरेन सरकार लेकर आई है. वहीं अगर बड़े फैसलों की बात किया जाए तो निजी क्षेत्र में 75 फीसदी आरक्षण देने का आदेश हेमंत सरकार ने दिया है.
झारखंड में कई ऐसे फैसले इस दौर में हुए हैं, जिसने झारखंड की सियासत में आमूल चूल परिवर्तन लाने की स्थिति पैदा कर दी है. इसमें जो बड़े फैसले हेमंत सोरेन सरकार के खाते में जाते हैं, उनमें झारखंड में पुरानी पेंशन योजना बहाल करना, 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू करने को लेकर कैबिनेट से प्रस्ताव पास करना, ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था का प्रस्ताव जैसे बड़े और अहम फैसले शामिल हैं. इन फैसलों से सीएम हेमंत सोरेन ने झारखंड की सियासत में अपने विरोधियों को चित कर दिया है, हालांकि कई बड़े फैसले ऐसे भी रहे जिन को लेकर चर्चा तो खूब हुई लेकिन जनता ने उसे नहीं सराहा. झारखंड सरकार ने मॉब लिंचिंग को लेकर भी कानून बनाया. इस पर कानून बनाने वाला झारखंड देश का तीसरा राज्य बना लेकिन जनता का ज्यादा समर्थन नहीं मिला.
जन उपयोगी सुविधाओं को लेकर के भी हेमंत सरकार ने कई बड़े काम किए. गरीबों को 10 लीटर पेट्रोल पर ₹25 प्रति लीटर की सब्सिडी देने की योजना हेमंत सरकार ने 26 जनवरी को लागू कराई और यह भी कहा कि इससे गरीब लोगों को सहायता मिलेगी. लेकिन इसका सीधा फायदा लोगों को दिखा नहीं और कई तरह की पेंच और विपक्ष के लगातार हमलावर होने की वजह से लोगों में भ्रम की स्थिति भी रही.
राजनीतिक रूप से भी झारखंड में हेमंत सोरेन ने अपनी पार्टी को मजबूती दिलाई. अपने फैसलों से गठबंधन सहयोगियों के साथ विरोधियों को भी बैकफुट पर धकेला. हेमंत सरकार बनने के बाद से कुल 4 विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए और सभी सीटों पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपनी जीत दर्ज की. कांग्रेस का कई मसलों पर विरोध भी रहा और लंबे समय तक कोऑर्डिनेशन कमेटी की मांग भी होती रही. हालांकि हेमंत सरकार के 2 साल के कार्यकाल पूरा होने के बाद ही कोऑर्डिनेशन कमेटी का गठन हो पाया अगर बड़े निर्णयों की बात करें तो 20 सूत्री का गठन भी झारखंड में हेमंत सरकार की बड़ी उपलब्धि में जोड़ा जा सकता है.
1000 दिन के कामकाज में सीएम हेमंत सोरेन के खाते में कई उपलब्धियां आईं तो विवाद भी कुछ कम नहीं रहे. ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में हेमंत सोरेन का नाम आया तो उनके भाई बसंत सोरेन भी इस मामले में निर्वाचन आयोग की जद में हैं. झारखंड में भ्रष्टाचार के मामले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई में भी कई ऐसे नाम आए जो हेमंत सोरेन के करीबियों में शामिल हैं. इनका करीबी संबंध सीएम हेमंत सोरेन से रहा है, जिसने हेमंत की राजनीतिक साख पर बट्टा ही लगाया. कानून व्यवस्था के नाम पर भी विपक्ष ने हेमंत को खूब घेरा और हाल के दिनों में जिस तरीके से राज्य में विधि व्यवस्था के हालात बिगड़े हैं उसको लेकर झारखंड सरकार बैकफुट पर दिखी है.
हेमंत सरकार के कामकाज के 1000 दिन पूरा हुआ है, इसको लेकर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता रघुवर दास ने कहा कि मैं बधाई देता हूं कि हेमंत सोरेन सरकार ने अपने 1000 दिन पूरे कर कर रहे हैं. लेकिन सवाल ये उठता है कि 1000 दिन में जो काम हुए हैं उसमें किस विषय की बधाई हेमंत सोरेन लेंगे, जल जंगल जमीन और खनिज संपदा की लूट की या हेमंत सोरेन ठप विकास योजनाओं की बधाई लेंगे. उनकी सरकार में किए जा रहे गैर संवैधानिक कार्यों की बधाई लेना चाहेंगे या अपने नाम पर ठेका आवंटित करवा करके पद की गरिमा का दुरुपयोग करने के लिए. पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि झारखंड में चल रही सरकार संवैधानिक कार्य की जगह मनमानी कर रही है और जनता को ठग रही है.