रांची: कोरोनाकाल में बिजली की बढी डिमांड और उसकी तूलना में राजस्व में आई भारी कमी ने झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (JBVNL) को मुश्किल में डाल दिया है. कोरोना के वक्त बिजली जैसी आवश्यक सेवा को घर से लेकर अस्पतालों तक बनाये रखने में जुटा जेबीवीएनएल की स्थिति आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया जैसी हो गई है. संक्रमण के भय से बिजली बिल कलेक्शन करने वाली कंपनी के हाथ खड़े किये जाने के कारण राजस्व संग्रह में भारी कमी आई है.
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घाटे में बिजली विभाग
पहले से ही घाटे में चल रहा झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड को वर्तमान समय में 100 करोड़ भी राजस्व संग्रह नहीं हो पा रहा है. जबकि बिजली बिल वसूली मत में जेवीवीएनएल को हर महीने औसतन 300 करोड़ रुपया प्राप्त होता था. हालत यह है यह हर महीने 100 करोड़ राजस्व संग्रह करने वाला रांची डिवीजन ने अप्रैल महिने में करीब 30 करोड़ ही जुटा पाया है. जबकि मार्च में रेवेन्यू कलेक्शन करीब 65 करोड़ था.
क्या कहते हैं जेबीवीएनएल के प्रबंध निदेशक
वैसे तो कोरोना के कारण हर विभागों में राजस्व संग्रह में कमी आई है. लेकिन सबसे ज्यादा खामियाजा बिजली विभाग को उठाना पड़ रहा है. पहले से ही घाटे में चल रहे जेबीवीएनएल के राजस्व वसूली कोरोना के कारण प्रभावित हुआ है. विभाग के प्रबंध निदेशक के के वर्मा की मानें तो राजस्व संग्रह को लेकर बोर्ड की स्थिति दयनीय है. उन्होंने कहा कि एक तरफ कोरोना के समय घर से लेकर अस्पतालों में निर्बाध बिजली देना आवश्यक है. वहीं दूसरी तरफ राजस्व संग्रह हमारा काफी कम हो चूका है. विभाग बिजली खरीदकर उपभोक्ताओं को मुहैया कराती है. जिसके कारण पहले से ही घाटे में चल रहा जेबीवीएनएल के उपर कर्ज का बोझ बढ रहा है. जो हमारे लिए चिंता का विषय है, इसके बाबजूद हम निर्वाध बिजली देने में सफल हो रहे हैं.
कोरोना के समय बिजली की जारी रहेगी निर्बाध आपूर्ति
कोरोना काल में बिजली की निर्बाध आपूर्ति को विभाग ने प्राथमिकता में रखा है. प्रबंध निदेशक के के वर्मा ने कहा कि सभी सरकारी, गैरसरकारी अस्पतालों, कोविड सेंटर जैसी जगहों में निर्बाध बिजली मिले इसके प्रबंध किये गये हैं. इसके लिए विभाग ने कंट्रोल रुम बनाया गया है, जहां 24 घंटे विभागीय टीम लगी रहती है.