रांची: झारखंड में शिक्षा की बदहाली पर पिछली सरकारों को जिम्मेदार ठहराए जाने वाले मुख्यमंत्री के बयान पर सियासत शुरू हो गई. भाजपा सांसद संजय सेठ ने बुधवार (3 मई) को इस पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि विद्यालयों में शिक्षकों की कमी है. इस कारण शिक्षा का स्तर गिरा है. मुख्यमंत्री की कथनी और करनी में अंतर है. पांच लाख लोगों को नौकरी देना का वादा किया था, इसका क्या हुआ? चार साल खत्म होने को है, सरकार ने जो वादा किया था, पूरा नहीं कर पाई है.
Jharkhand Education Politics: शिक्षा की बदहाली को लेकर झामुमो-बीजेपी में जुबानी जंग तेज, रांची सांसद ने मुख्यमंत्री पर लगाए गंभीर आरोप - BJP Ranchi MP Sanjay Sheth
झारखंड की शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने के लिए मुख्यमंत्री ने राज्यभर में प्राइवेट विद्यालय की तर्ज पर 80 अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों का उद्धाटन मंगलवार को किया. इस दौरान उन्होंने पूर्व की सरकारों को शिक्षा के स्तर में गिरावट के लिए जिम्मेदार ठहराया. उनके इसी बयान को लेकर रांची सांसद संजय सेठ ने पलटवार किया है.
संजय ने लगाए ये आरोप: रांची सांसद ने कहा कि शिक्षा की बदहाली के लिए विद्यालयों में शिक्षकों की कमी जिम्मेदार है. बच्चों के अनुपात में पर्याप्त शिक्षक नहीं होने से स्टूडेंट्स की पढ़ाई प्रभावित हुई है. सरकार ने शिक्षकों की भर्ती का वादा किया था, जिसे अबतक पूरा नहीं किया जा सका है. सरकार के चार वर्ष पूरे होने वाले है, भर्ती को लेकर स्थिति जस की तस बनी हुई है. मुख्यमंत्री ने पांच लाख नौकरी के साथ बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया था. अभी तक इसे पूरा नहीं किया जा सका है. सांसद ने कहा कि मुख्यमंत्री ने कहा कि पैसा बैंक में नहीं रखे बल्कि जमीन में गाड़ कर रखे, ये क्या मुख्यमंत्री की भाषा हो सकती है? जिसने संविधान की कसम खाई है.
मुख्यमंत्री ने क्या कहा था:मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंगलवार (2 मई) को जगन्नाथपुर में 80 उत्कृष्ट विद्यालयों का उद्घाटन करने के दौरान पिछली सरकारों को आड़े हाथों लिया था. इसमें उनका मुख्य निशाना रघुवर सरकार पर था. शिक्षा व्यवस्था की बदहाल स्थिति के लिए पूर्व की बीजेपी सरकार को भी दोषी माना था. उन्होंने कहा कि शिक्षा को लेकर पूर्व की सरकारों ने यहां के बच्चों के साथ छलावा किया और शिक्षा का मजाक उड़ाया. मुख्यमंत्री ने कहा कि दो कमरे और एक शिक्षक का विद्यालय कैसा लगता है सुनने में, यह कोई राशन दुकान है क्या? आज स्कूल की भव्यता को देखिए, क्लास रूम के अंदर की गई व्यवस्था को देखिए. अब इसके अंदर जो शिक्षक होंगे, बच्चों के हुनर को तराशने का काम करेंगे.
संसाधनो का घोर अभाव:बहरहाल बेहतर शिक्षा को लेकर राजनीति होती रही है. चाहे वो प्राथमिक शिक्षा हो या माध्यमिक या उच्च शिक्षा, राज्य में सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर हमेशा सवाल उठते रहे हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य में 35483 स्कूल है. जिसमें 446 विद्यालयों में व्यवसायिक शिक्षा दी जा रही है. इन विद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी के अलावे संसाधनों का घोर अभाव जग जाहिर है. ऐसे में सब पढ़े सब बढ़े भलें ही सुनने में अच्छा लगता है. मगर संसाधनों के अभाव में सरकारी विद्यालय के बच्चे, निजी स्कूलों के बच्चों को कैसे टक्कर दे पायेंगे? ये बड़ा सवाल है.