झारखंड की अर्थव्यवस्था को लेकर अर्थशास्त्री हरिश्वर दयाल से ईटीवी भारत की खास बातचीत रांचीः प्राकृतिक संसाधनों से भरा झारखंड अपना स्थापना दिवस मना रहा है. काफी जद्दोजहद के बाद 15 नवंबर 2000 को संयुक्त बिहार से अलग होकर अस्तित्व में आया यह प्रदेश आज भी बुनियादी सुविधाओं से जूझ रहा है. शुरुआती वर्षों को छोड़ दें तो बाद के वर्षों में तेजी से विकास के कार्य जरूर हुए हैं मगर आज भी शुद्ध पेयजल के लिए झारखंड के लोग परेशान रहते हैं. इन सबके अलावा शिक्षा-स्वास्थ्य जैसे क्षेत्र में काफी कुछ किए जाने की संभावना है. जिससे ना केवल लोगों को बुनियादी सुविधा का लाभ मिलेगा बल्कि यहां की आर्थिक स्थिति और भी मजबूत होगी. झारखंड की आर्थिक स्थिति पर जानेमाने अर्थशास्त्री हरिश्वर दयाल से खास बातचीत की रांची संवाददाता भुवन किशोर झा ने.
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झारखंड की अर्थव्यवस्था है विकासशील- हरिश्वर दयालः झारखंड राज्य गठन के बाद राजनीतिक अस्थिरता की वजह से झारखंड की अर्थव्यवस्था प्रभावित होती रही लेकिन बाद के वर्षों में राज्य में तेजी से विकास होते रहे. इसका अंदाजा विकास दर से लगाया जा सकता है जो पिछले वित्तीय वर्ष 2022-23 में 6.9% के करीब था. उससे पहले के वित्तीय वर्ष में 6.8% था. कोरोना के ठीक बाद के वित्तीय वर्ष 2020-21 में विकास दर सर्वाधिक 10.9% रहा था.
झारखंड में प्रति व्यक्ति सालाना आय अर्थशास्त्री हरिश्वर दयाल का मानना है कि झारखंड की अर्थव्यवस्था विकासशील है यानी प्रोग्रेसिव है. जिसमें विकास दर में वृद्धि के साथ बेरोजगारी की दरों में काफी कमी देखी जा रही है. राज्य में प्रति व्यक्ति आय की बात करें तो 2011-12 के आधार वर्ष मानकर देखें तो उस समय 41 हजार प्रति व्यक्ति आय सालाना लोगों की होती थी वर्तमान समय में एक लाख से अधिक प्रति व्यक्ति आय देखी जा रही है. अर्थशास्त्री हरिश्वर दयाल कहते हैं कि यदि एक परिवार में पांच व्यक्ति हैं तो उनकी सालाना आमदनी 5 लाख होगी.
झारखंड में प्रति व्यक्ति सालाना आय कृषि, मेडिकल और शिक्षा के क्षेत्र में हैं अनंत संभावनाएंः झारखंड की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है जिसमें 50% से अधिक मजदूर आश्रित हैं. इसके अलावा आय के प्रमुख स्रोतों में कोल माइंस जैसे प्राकृतिक संसाधन शामिल है. जिसमें बड़ी संख्या में किसी न किसी रूप में लोगों को रोजगार मुहैया होता है. इन सब के अलावे मेडिकल और शिक्षा क्षेत्र में अनंत संभावनाएं हैं, जिसे और विकसित करने की जरूरत है. पारंपरिक खेती के बजाय आधुनिक खेती पर जोर देकर कृषि क्षेत्र को और विकसित किया जा सकता है.
अर्थशास्त्री हरिश्वर दयाल कहते हैं कि मेडिकल और शिक्षा क्षेत्र ऐसा है जिस राज्य में और भी बेहतर करने की जरूरत है. इससे न केवल लोगों को बुनियादी सुविधाएं मिलेंगी बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी राज्य के लिए फायदेमंद होगा. आमतौर पर गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए लोग दूसरे राज्यों की ओर रुख करते हैं. इसी तरह बेहतर शिक्षा के लिए भी झारखंड से बाहर लोग जाने को विवश हैं. ऐसे में यदि यह दोनों बुनियादी सुविधाएं राज्य में ही उपलब्ध करा दी जाए तो अपने राज्य के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों को भी फायदा होगा.
झारखंड में बेरोजगारी दर 1.7 प्रतिशतः झारखंड में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है इसे दूर करने के लिए हाल के वर्षों में केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा काफी प्रयास किए गए हैं. जिसका नतीजा यह है कि वर्तमान समय में इसका आंकड़ा लगातार गिरता गया है. पेरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे के ताजा आंकड़ों के अनुसार झारखंड के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सभी उम्र वर्ग के 1.7% लोग बेरोजगार हैं. यह आंकड़ा संस्थान के द्वारा पिछले महीने जारी किया गया है.