क्या कहते हैं अर्थशास्त्री रांचीःएक फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए बजट पेश किया जायेगा. इस बजट से देश के सभी राज्यों को उम्मीदें रहती हैं. प्रत्येक राज्य चाहता है कि केंद्र सरकार उसके क्षेत्र में ऐसी योजना शुरू करें, जिससे इलाके का विकास हो. इसके साथ ही लोगों को रोजगार मिले.
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झारखंड को भी इस बजट से काफी उम्मीदें हैं. अर्थशास्त्री हरिश्वर दयाल कहते हैं कि केंद्र सरकार द्वारा टैक्स के अलावे सेस एंड सरचार्ज लगाया जाता है. सेस एंड सरचार्ज से आम लोग भलें ही प्रभावित होते हैं. लेकिन राज्यों को इसका लाभ नहीं मिलता है. उन्होंने कहा कि सेस एंड सरचार्ज बढाना केंद्र सरकार की मजबूरी ही है तो टैक्स में बढ़त्तरी करके किया जा सकता है. इससे राज्यों को भी अंश के रूप में प्राप्त होगा. यह निर्भर करेगा कि केंद्रीय करों का कलेक्शन कितना होता है और उसमें झारखंड का राज्यांश तय होगा.
अर्थशास्त्री हरिश्वर दयाल ने केंद्र सरकार से मिनरल रॉयल्टी की दर बढ़ाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि राज्य को जीएसटी कंपनसेशन की राशि बंद होने से आर्थिक क्षति को कम किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में लंबे समय से मिनरल रॉयल्टी 12 और 14 परसेंट के रूप में राज्य को प्राप्त होता है, जिसे प्रत्येक 3 वर्ष पर रिवीजन करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि जीएसटी कंपनसेशन पांच वर्षों के लिए कॉउसिल द्वारा दिये जाने थे जो समाप्त हो रहे है. इससे जीएसटी कंपनसेशन पर निर्भर रहनेवाले राज्यों के लिए परेशानी बढ़ेगी.
व्यापारियों ने इस बार के बजट में कोई नया टैक्स नहीं लगने की उम्मीद जताई है. व्यवसायियों का मानना है कि इकोनॉमी में ग्रोथ मैनिफेकचरिंग और व्यवसाय के लिए उचित माहौल से होगा. केंद्र से उम्मीद है, जिसका बजट में ध्यान रखने की जरूरत है. व्यवसायी राहुल ने बताया कि सरकार को विकास की गति देने के लिए लंबित रेलवे प्रोजेक्ट को जल्द से जल्द पूरा कराना होगा. इसके लिए बजट में प्रावधान करना चाहिए. उन्होंने कहा कि मिनरल रीच स्टेट को अधिक से अधिक डेवलप करने और इज ऑफ डुइंग पर विशेष फोकस करने की आवश्यकता है.