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Jharkhand Politics: मॉब लिंचिंग बिल को लेकर आक्रामक हुए कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष, कहा- मूकदर्शक बनकर नहीं बैठ सकते - झारखंड समाचार

मॉब लिंचिंग बिल का मामला फिर से झारखंड में उठ गया है. झारखंड के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि सरकार को इस मामले में पहल करनी चाहिए. त्रुटियों को दूर कर फिर से इस बिल को पारित करने की दिशा में कार्य करना चाहिए.

Jharkhand Mob Lynching Bill
मॉब लिंचिंग पर बोलते झामुमो और कांग्रेस नेता

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Published : Apr 21, 2023, 7:18 PM IST

मॉब लिंचिंग बिल पर बोलते कांग्रेस और जेएमएम के नेता

रांची: झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष शहजादा अनवर ने मॉब लिंचिंग कानून को लेकर अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी कर ली है. शहजादा ने कहा कि एक महीने पहले भी उन्होंने झारखंड में फिर से मॉब लिंचिंग रोकने के लिए कठोर कानून को जल्द से जल्द बनाने की मांग की थी. जिसमें आगे की कार्रवाई नहीं की गई.

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सरकार को दोबारा भेजना चाहिए था बिल:कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष शहजादा अनवर ने कहा कि महागठबंधन की सरकार ने मॉब लिंचिंग रोकने के लिए बिल को विधानसभा से पारित कराकर राजभवन भेजा था. तत्कालीन राज्यपाल ने इस बिल के प्रावधानों में कुछ त्रुटि बताकर विधानसभा को वापस कर दिया था. सरकार को दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाते हुए उन त्रुटियों को दूर कर दोबारा बिल को राजभवन भेजना चाहिए था. कहा कि दुर्भाग्य है कि सरकार ने इस पर आगे की कोई कार्रवाई नहीं की है.

मॉब लिंचिंग पर हेमंत सरकार चुप:शहजादा अनवर ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के स्पष्ट आदेश के बावजूद हेमंत सरकार मॉब लिंचिंग कानून को लेकर मौन है. कहा कि राजभवन ने जो खामियां बताई है, उसे दुरुस्त करें. आगे की कार्रवाई के लिए सरकार को जल्द से जल्द पहल करनी चाहिए. कहा कि आखिर किन कारणों से सरकार चुप है. कहा कि ऐसी परिस्थिति में सरकार मौन नहीं र ह सकती है.

झामुमो कठोर कानून के पक्ष में:झामुमो के केंद्रीय महासचिव सह सरकार के कोर्डिनेशन कमिटी के सदस्य विनोद पांडे ने अपना बयान दिया है. कहा कि सरकार और झामुमो मॉब लिंचिंग कानून को लेकर कृतसंकल्पित है. कहा कि सरकार इसे लेकर गंभीर है. कैबिनेट से मॉब लिंचिंग बिल को पास कराया गया था. बिल पारित होने के बाद राजभवन भेजा गया था. राज्यपाल ने त्रुटियां बताकर उसे वापस कर दिया. विनोद पांडे ने कहा कि पिछले दिनों कई महत्वपूर्ण विधेयक पारित कर राजभवन भेजा गया था. उसे लौटा दिया गया है. भाजपा ने मॉब लिंचिंग बिल का विधानसभा में विरोध किया था.

क्या है पूरा मामला:मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए हेमंत सोरेन की सरकार ने 21 दिसम्बर 2021 को विधानसभा से "द प्रिवेंशन ऑफ मॉब वायलेंस एंड मॉब लिंचिंग बिल 2021" पारित कराकर राजभवन के पास भेजा था. जिसे राजभवन ने मार्च 2022 में विधेयक में त्रुटि बताकर वापस कर दिया था.

किस बात पर राजभवन की थी आपत्ति:राजभवन ने मॉब लिंचिंग को प्रभावी तरीके से रोकने के लिए विधानसभा से पारित "झारखंड मॉब लिंचिंग बिल" के हिंदी और अंग्रेजी वर्सन में असमानता और दो या दो से अधिक व्यक्तियों को भीड़ मानने पर आपत्ति जताई थी. राजभवन का मानना था कि दो व्यक्तियों के समूह को भीड़ नहीं माना जा सकता क्योंकि यह विधि सम्मत नहीं है.

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