रांची: झारखंड कांग्रेस के पांच नेताओं को अनुशासनहीनता का दोषी करार किए लगभग 15 दिन बीत गए हैं. प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर से एक पखवाड़ा पहले ही इसपर कार्रवाई की अनुशंसा भी की गई, लेकिन अब तक दोषी पाए गए नेताओं पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. इधर पार्टी की ओर से दिए गए बयान पर गौर करें तो लगता है कि दल के दिग्गज नेताओं पर कार्रवाई को लेकर कांग्रेस नेतृत्व दुविधा में है.
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क्या हैं पार्टी के बयान: कांग्रेस के प्रदेश महासचिव और प्रदेश प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कहा कि यह सही है कि प्रदेश कांग्रेस की अनुशासन समिति ने पार्टी के पांच नेताओं पर अनुशासन तोड़ने के आरोप को सही माना. जिसके बाद उन्हें पहले शो कॉज और फिर पार्टी से निष्कासित करने की अनुशंसा की गई है. राकेश सिन्हा ने कहा कि किसी भी पार्टी के लिए अनुशासन बहुत जरूरी है, लेकिन हमें यह भी देखना पड़ रहा है कि जिन लोगों पर कार्रवाई की अनुशंसा की गई है, उनका समर्पण और लगाव भी लंबे दिनों से कांग्रेस पार्टी से रहा है. कोई 20 साल से तो कोई 25 साल से कांग्रेस पार्टी में सेवा दे रहा है. ऐसे में एक झटके में पार्टी से उन्हें बाहर करना, वह भी बिना किसी नीति निर्धारण के, यह संभव भी नहीं है. ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व इसका आंकलन कर रही है कि अनुशासन कमेटी की अनुशंसा पर आगे क्या किया जाए.
क्या कहता है पार्टी का संविधान: कांग्रेस अपने दो प्रदेश महासचिव, एक प्रदेश सचिव और एक डेलीगेट्स मेम्बर पर कार्रवाई को लेकर किस कदर दुविधा में है, इसका अनुमान कांग्रेस के कद्दावर नेता आलमगीर आलम के बयान से भी लगा सकते हैं. अनुशासनहीनता के दोषी पाए गए नेताओं पर कार्रवाई को लेकर पूछे गए सवाल और पार्टी संविधान को लेकर वे कहते हैं कि हमारी पार्टी का संविधान कहता है कि इस तरह की कार्रवाई में इंतजार करो और यह देखो कि कहीं किसी बेकसूर को तो सजा नहीं हो रही है. नेताओं के बयान से साफ है कि जिस प्रदेशस्तरीय अनुशासन समिति ने पहले शोकॉज और फिर गवाह और सबूतों को खंगाल कर 7 में से पांच नेताओं को अनुशासनहीनता का दोषी करार दिया था और पार्टी से छह वर्षों के लिए निष्कासित करने की अनुशंसा की थी, उस अनुशासन कमिटी की अनुशंसा पर भी नेतृत्व दुविधा में है.
किन नेताओं पर कार्रवाई की अनुशंसा: झारखंड कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में दल से छह वर्षों के लिए निष्कासित करने की अनुशंसा अनुशासन समिति ने प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे और प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर से की थी. जिन नेताओं को दल से निष्कासित करने की अनुशंसा की गई है, उसमें प्रदेश महासचिव आलोक दुबे, राजेश गुप्ता, प्रदेश सचिव साधु शरण गोप और सुनील सिंह के अलावा प्रदेश डेलीगेट्स मेम्बर लाल किशोर नाथ शाहदेव के नाम शामिल हैं, जबकि दो अन्य अनुशासनहीनता के आरोपी राकेश तिवारी, अनिल ओझा के शोकॉज के बाद आये जवाब से संतुष्ट होकर प्रदेश कांग्रेस अनुशासन समिति ने उन्हें क्लीन चिट दे दी थी. इन नेताओं पर आरोप था कि इन्होंने अपने प्रदेश अध्यक्ष, पार्टी आलाकमान के खिलाफ मीडिया और सोशल मीडिया पर बयानबाजी की. पार्टी लाइन से अलग जाकर बैठक की और दल की नीति और सिद्धातों को कमजोर करने का काम किया.
21 दिसंबर 2023 को अनुशासन समिति ने किया था शोकॉज: झारखंड कांग्रेस में जिलाध्यक्षों और प्रदेश कमेटी के गठन के बाद से विरोध के तेज होते स्वर और पार्टी नेतृत्व के खिलाफ पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ-साथ नवनियुक्त प्रदेश पदाधिकारियों के विरोध के स्वर को दबाने के लिये झारखंड प्रदेश अनुशासन कमेटी के सभी सदस्यों ने 21 दिसंबर 2022 को बैठक की थी और पार्टी के अंदर बढ़ते अनुशासनहीनता को रोकने के लिए पार्टी लाइन से अलग जाकर मीडिया में बयानबाजी करने और अलग बैठक करने वाले 7 प्रदेश स्तरीय पदाधिकारियों को शोकॉज जारी किया था और पूछा था कि क्यों नहीं उनके खिलाफ पार्टी अनुशासनहीनता की कार्रवाई करे. इसके लिए 14 दिनों का समय दिया गया था.
शोकॉज के बाद क्या हुआ:शोकॉज के प्रति उत्तर में इन सात नेताओं में से आलोक दुबे, लाल किशोरनाथ शाहदेव और राजेश गुप्ता छोटू ने जवाब देने के लिए और समय की मांग की थी, जबकि सुनील सिंह ने न तो कोई जवाब दिया और न ही समय की मांग की थी. साधुशरण गोप, राकेश तिवारी और अनिल ओझा के जवाब आये थे, जिसपर अनुशासन कमेटी ने बृहद चर्चा की और साधुशरण गोप के दिये दलीलों को अमान्य कर दिया, जबकि अन्य दो राकेश तिवारी और अनिल ओझा को अनुशासन हीनता के आरोप से मुक्त कर दिया. झारखंड प्रदेश अनुशासन कमेटी के चेयरमैन बृजेंद्र सिंह ने 8 जनवरी 2023 को विशेष बैठक के बाद मीडिया को पूरी जानकारी देते हुए कहा था कि कमेटी ने सभी अनुशासन तोड़नेवाले नेताओं को छह साल के लिए दल से निष्कासित करने की अनुशंसा प्रदेश प्रभारी से की है. जानकारी के अनुसार सुनील सिंह ने प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर से मिलकर समय पर अनुशासन कमेटी को जवाब नहीं सौंपने की वजह बताते हुए अपनी बात रख दी है, लेकिन बाकी अन्य नेताओं को लेकर नेतृत्व दुविधा में फंस गया है.