रांची:झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी 12 फरवरी से पूरे राज्य में सदस्यता अभियान की शुरुआत करेगी. सदस्यता अभियान की तैयारी जोरों पर है लेकिन इस सदस्यता अभियान में कुछ शर्तें रखी गयी हैं. जो नए सदस्यों पर लागू होंगे, क्या जेवीएम विधायकों पर ये शर्ते लागू होंगी. ये अहम सवाल बना हुआ है, क्योंकि लगातार चर्चा है कि हेमंत सरकार में एक मंत्री का बर्थ जेवीएम छोड़ कर कांग्रेस का दामन थामने वाले विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की में से किसी एक विधायक के लिए खाली रखा गया है.
सदस्यता अभियान में कुछ महत्वपूर्ण शर्तें
दरअसल, झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी ने सदस्यता अभियान में कुछ महत्वपूर्ण शर्तों को शामिल किया है. ताकि पुराने कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ने का मौका मिल सके. इसके साथ ही जिन लोगों ने पार्टी का साथ छोड़ पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ 2019 के विधानसभा चुनाव में चुनाव लड़ा है. उन्हें दोबारा पार्टी में जगह न मिल सके. प्रदेश कांग्रेस ने सदस्यता अभियान के तहत तय किया है कि जो लोग नए सदस्य बनेंगे उन्हें 2 साल तक कोई पद नहीं दिया जाएगा और 3 सालों तक वह कोई चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. इसकी एफिडेविट प्रदेश कांग्रेस की तरफ से ली जाएगी. लेकिन यह निर्णय झारखंड विकास मोर्चा के विधायकों पर लागू नहीं होगा.
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आलाकमान लेगा अंतिम निर्णय
इधर, जेवीएम के निष्कासित विधायक बंधु तिर्की और विधायक प्रदीप यादव की भी कांग्रेस पार्टी में आने की जोरों पर चर्चा है. ऐसे में उन पर यह शर्तें लागू होंगी या नहीं इस सवाल पर प्रदेश कांग्रेस के सदस्यता अभियान प्रभारी आलोक दुबे ने कहा है कि जेवीएम विधायक बंधु तिर्की और प्रदीप यादव ने आलाकमान से मुलाकात की है और उनका आशीर्वाद लिया है. ऐसे में अगर वह कांग्रेस में आते हैं, तो उन्हें किसी पद पर रखा जाए या नहीं इसका निर्णय आलाकमान लेगा. उन्होंने कहा कि सदस्यता लेने वाले नए लोगों को 2 साल तक कोई पद नहीं दिया जाएगा और 3 साल तक कोई चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. बल्कि संगठन को मजबूत करने के लिए समर्पित भाव से काम करेंगे.
अवसरवादी नेताओं की इंट्री पर रोक की कोशिश
वहीं कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता लाल किशोरनाथ शाहदेव ने कहा कि संगठन में जुड़े पुराने लोगों को आगे बढ़ने का मौका मिल सके. इसे ध्यान में रखते हुए सदस्यता अभियान से जुड़े कई निर्णय लिए गए हैं. उन्होंने कहा कि इसका फायदा पार्टी के पुराने पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं को मिलेगा. इसके साथ ही जिन लोगों ने 2019 के विधानसभा चुनाव में पार्टी का साथ छोड़ पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ा है. उन्हें 5 सालों तक इंट्री ना दी जाए. इस पर भी प्रदेश कांग्रेस ने फैसला लिया है ताकि दोबारा पार्टी कमजोर ना हो सके और अवसरवादी नेताओं की इंट्री पर रोक लग सके.