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जोहारग्राम से विदेशों में बढ़ी झारखंड के कपड़ों की डिमांड, खबू बिक रहे हैं पारंपरिक परिधान - रांची की खबर

झारखंड की पारंपरिक क्राफ्ट और टेक्सटाइल डिजाइन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पहचान दिलाने की कोशिश की जा रही है. रांची के आशीष सत्यव्रत साहू ने हैंडलूम के माध्यम से ऑस्ट्रेलिया समेत विश्व के कई देशों में अपने डिजाइन किए हुए कपड़ों को पहुंचाया है. विदेशों में झारखंड की पारंपरिक पहनावे को खूब पसंद भी किया जा रहा है.

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जोहारग्राम

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Published : May 16, 2022, 5:26 PM IST

रांची: झारखंड की पारंपरिक क्राफ्ट और टेक्सटाइल डिजाइन को काफी समृद्ध माना जाता है. अब इसी क्राफ्ट को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की कोशिश रांची के एक युवक के द्वारा की जा रही है. सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हुए आशीष सत्यव्रत साहू नामक युवक ने केवल देश के सभी राज्यों तक अपने डिजाइन किए हुए कपड़े को पहुंचाया बल्कि विदेशों में भी उनके डिजाइन किए हुए कपड़े आसानी से पहुंच रहे हैं.

जोहारग्राम कपड़े की पहचान: दरअसल रांची के रहने वाले आशीष सत्यव्रत साहू एक ऐसे टैक्सटाइल डिजाइनर हैं .जिन्होंने झारखंड की पारंपरिक पहनावे को खादी और हैंडलूम के माध्यम से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की मुहिम चलाई है. सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हुए आशीष सत्यव्रत साहू ने अपने डिजाइन किए हुए कपड़ों को कनाडा और ऑस्ट्रेलिया समेत विश्व के कई देशों में पहुंचाया है. देश-विदेश के लोग उनके द्वारा डिजाइन किए हुए कपड़ों को खूब पसंद भी कर रहे हैं.

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झारखंड की कला, संस्कृति के प्रति रूझान: आशीष सत्यव्रत साहू बताते हैं कि शुरुआती दौर से ही झारखंड की कला, संस्कृति और रहन सहन के प्रति उनका झुकाव रहा है. निफ्ट से टैक्सटाइल डिजाइनिंग की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने स्थानीय बुनकरो के साथ मिलकर जोहारग्राम नाम से डिजाइनिंग का काम शुरू किया है. इनके डिजाइन किए हुए कपड़े ऐसे होते हैं कि क्रिकेट स्टार महेंद्र सिंह धोनी और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद पहन कर तारीफ कर चुके हैं.

जोहारग्राम के कपड़े

कई लोगों को मिल रहा रोजगार:आशीष सत्यव्रत साहू ने जोहारग्राम के माध्यम से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सैकड़ों लोगों को रोजगार देने का भी काम किया है.स्थानीय बुनकरों से लेकर डिजाइनिंग के क्षेत्र में काम कर रहे युवक युवतियों को जोहार ग्राम में रोजगार मिल रहा है. खादी और हैंडलूम से बने पारंपरिक पहनावे को पीछे छोड़ते हुए आशीष सत्यव्रत ने इन कपड़ों का इस्तेमाल कैजुअल वियर में शुरू किया है. यही वजह है कि इन कपड़ों के प्रति युवाओं का रुझान बढ़ रहा है. ऐसा होने से बुनकरों को भी रोजगार मिल रहा है.

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