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वन विभाग से आरा मिल संचालकों को दोबारा निबंधित लेने की अनिवार्यता अव्यावहारिक: चैंबर

वन ऊपज का आयात करने वाले सभी आरा मिल, आरा डिपो और संस्थान को वन विभाग से निबंधन कराने की अनिवार्यता से कठिनाईयां हो रही हैं. इस समस्या को लेकर झारखंड चैंबर ऑफ काॅमर्स के एक प्रतिनिधिमंडल ने पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव अमरेंद्र प्रताप सिंह से मुलाकात की. इस दौरान प्रधान सचिव ने मामले को गंभीरतापूर्वक लेते हुए शीघ्र समाधान का आश्वासन दिया.

jharkhand chamber of commerce met climate change department principal secretary
प्रतिनिधिमंडल ने पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव अमरेंद्र प्रताप सिंह से मुलाकात की

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Published : Jan 19, 2021, 7:22 PM IST

रांचीःवन ऊपज का आयात करने वाले सभी आरा मिल, आरा डिपो और संस्थान को वन विभाग से निबंधन कराने की अनिवार्यता से कठिनाईयां हो रही है. इसके समाधान के लिए झारखंड चैंबर ऑफ काॅमर्स का एक प्रतिनिधिमंडल वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव अमरेंद्र प्रताप सिंह से मंगलवार को मिला.


आरा मिल पूर्व से ही वन विभाग की ओर से निबंधित
इस दौरान कहा गया कि झारखंड में स्थापित सभी आरा मिल पूर्व से ही वन विभाग की ओर से निबंधित हैं. इसके साथ ही व्यवसायियों की ओर से आयात किए जाने वाले काष्ठ की पूरी विवरणी मासिक प्रतिवेदन के माध्यम से प्रमंडलीय कार्यालय में समर्पित किए जाते रहे हैं. इस स्थिति में जब आरा मिल वन विभाग से निबंधित हैं और उनकी ओर से वन विभाग को आयातित काष्ठ का रिटर्न समर्पित भी किया जा रहा है. इस दौरान निबंधित मिलों को काष्ठ आयात करने के लिए अलग से निबंधन कराने की अनिवार्यता उचित प्रतीत नहीं होती है. इसके साथ ही आग्रह किया गया कि मामले की समीक्षा करते हुए वन प्रमंडल पदाधिकारी की ओर से दिए गए इस निर्णय को शिथिल कराने का निर्देश जारी करें.

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शीघ्र समाधान के लिए संज्ञान लेने का आश्वासन
वन प्रमंडल पदाधिकारी, रांची वन प्रमंडल की ओर से वन ऊपज का आयात करने वाले सभी आरा मिल, आरा डिपो और संस्थान को वन विभाग से निबंधन लेने का निर्देश दिया गया है. जबकि ऐसे सभी मिल पूर्व से ही वन विभाग से निबंधित हैं. आरा मिल संचालकों की कठिनाईयों को देखते हुए चैंबर की ओर से विभागीय सचिव से मिलकर इस मुद्दे पर तर्कपूर्ण वार्ता की गई. कहा गया कि विभाग से दोबारा निबंधन लेने की अनिवार्यता अव्यावहारिक है. विभाग के प्रधान सचिव अमरेंद्र प्रताप सिंह ने झारखंड चैंबर की बातों को गंभीरतापूर्वक सुना और सकारात्मक रूख दिखाते हुए मामले के शीघ्र समाधान के लिए संज्ञान लेने का आश्वासन दिया.

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