नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ में राज्य की भूपेश बघेल सरकार को हराने और 2018 के पिछले विधानसभा चुनाव में हुई गलती को दोहराने से बचने के लिए भाजपा ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है. भाजपा ने देश के कई राज्यों से अपने नेताओं की फौज को प्रदेश की सभी 90 विधानसभा सीटों पर पहले ही उतार रखा है, लेकिन अब पार्टी ने धरातल से मिल रहे फीडबैक के आधार पर आरएसएस की पृष्ठभूमि वाले नेताओं को छत्तीसगढ़ के विभिन्न इलाकों में तैनात कर दिया है.
वैसे तो भाजपा में आरएसएस की पृष्ठभूमि वाले नेताओं की भरमार है. आरएसएस से भाजपा में आने वाले कई नेता केंद्र में मंत्री हैं, कई राज्यों में मुख्यमंत्री और मंत्री हैं, सरकार से लेकर पार्टी संगठन में अहम पदों पर बैठे हैं. लेकिन, पार्टी संगठन में राष्ट्रीय संगठन महासचिव के पद पर नियुक्त नेता को भाजपा संगठन और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बीच की कड़ी माना जाता है.
वर्तमान में यह जिम्मेदारी बीएल संतोष निभा रहे हैं जो आरएसएस द्वारा बुलाई गई बैठक में भाजपा की तरफ से शामिल होकर भाजपा के कामकाज की रिपोर्ट सौंपते हैं. राज्य के स्तर पर प्रदेश संगठन महासचिव भी कुछ हद तक इसी तरह की भूमिका निभाते हैं.
छत्तीसगढ़ में होने वाले आगामी विधान सभा चुनाव की तैयारियों को लेकर भाजपा आलाकमान की गंभीरता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पार्टी ने अपने दो प्रदेशों के संगठन महासचिवों को छत्तीसगढ़ के अलग-अलग संभागों में तैनात कर दिया है.