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Ranchi News: फेस डिटेक्शन कैमरे से धराया श्रीवास्तव गैंग का सरगना अमन, 20 मई तक झारखंड एटीएस करेगी पूछताछ

गैंगस्टर अमन श्रीवास्तव से 20 मई तक झारखंड एटीएस की टीम पूछताछ करेगी. उसे मुंबई से पकड़कर रांची लाया गया है. जानकारी के अनुसार, फेस डिटेक्शन कैमरे की मदद से उसे पकड़ा गया है.

gangster Aman Srivastava
gangster Aman Srivastava

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Published : May 17, 2023, 10:49 PM IST

रांची: झारखंड के टॉप टेन गैंग्स में शामिल श्रीवास्तव गैंग का सरगना अमन श्रीवास्तव फेस डिटेक्शन कैमरे के कारण पकड़ा गया. झारखंड और महाराष्ट्र एटीएस की टीम ने उसे स्टेशन पर लगे कैमरे की मदद से ही दबोच लिया. जिसके बाद अमन श्रीवास्तव को रांची लाया गया है, जहां 20 मई तक उससे पूछताछ की जाएगी.

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अलग-अलग शहरों से कर रहा था गैंग ऑपरेट:एटीएस से मिली जानकारी के अनुसार, गैंगस्टर अमन श्रीवास्तव मुंबई के साथ ही सूरत, पुणे, बेंगलुरु जैसी जगहों से गैंग को ऑपरेट करता था. वह लगातार घुमता रहता था, ताकि वह पुलिस की पकड़ में ना आ सके. ज्यादातर वह ट्रेन से सफर किया करता था. इसकी जानकारी झारखंड एटीएस को मिली, जिसके बाद मुंबई एटीएस की टीम से संपर्क किया गया. मुंबई एटीएस को अमन श्रीवास्तव का फोटो भेजा गया. उस फोटो को मुंबई के तकरीबन सभी रेलवे स्टेशन में लगे फेस डिटेक्शन कैमरा के सॉफ्टवेयर में अपलोड कर इंतजार किया जाने लगा.

मुंबई के वासी स्टेशन से गैंगस्टर अमन लगातार ही आना-जाना कर रहा था. वहीं स्टेशन में लगे फेस डिटेक्शन कैमरा ने उसकी तस्वीर डिटेक्ट कर ली, जब-जब वह वासी स्टेशन में घुसा, तब तब पता चलता रहा. इसकी जानकारी मिलने के बाद झारखंड एटीएस की टीम मुंबई पहुंची और दोनों राज्यों की एटीएस की टीम ने संयुक्त रूप से छापेमारी कर अमन श्रीवास्तव को वासी स्टेशन से पकड़ लिया.

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एक रात गुजारने के बाद बदल देता था ठिकाना:गैंगस्टर अमन श्रीवास्तव अपना ठिकाना बदलता रहता था. एक रात से ज्यादा किसी भी स्थान पर वह नहीं रुकता था. वह रात गुजारने के बाद अपना ठिकाना बदल लेता था, ताकि पुलिस को उसके बारे में पता ना चल पाए. एटीएस से मिली जानकारी के अनुसार, पूछताछ में अमन ने इसका भी खुलासा किया है. उसने एटीएस को बताया कि ठिकाना बदलने से पुलिस उस तक पहुंच नहीं पाती थी.

बात करने के बाद सिम को फिर नहीं रखता अपने पास: बताया जा रहा है कि गैंगस्टर अमन श्रीवास्तव जिस मोबाइल नंबर से जिस स्थान से अपने गुर्गों और अन्य लोगों से बात करता था. फिर उस मोबाइल नंबर को वह बंद कर उसी स्थान पर फेंक देता था. इसके बाद वह दूसरा मोबाइल नंबर (सिम कार्ड) लेकर जाता था. ताकि पुलिस उसका लोकेशन निकाल ना सके. अगर पुलिस उसके उस ठिकाने पर पहुंच भी जाए तो उसे सफलता हाथ नहीं लगती थी.

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