रांची: हाल के दिनों में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन सुर्खियों में हैं. जिला भ्रमण के दौरान राज्यपाल का जनता से सीधा संवाद कहीं ना कहीं सत्तारूढ़ दल के लिए आंख की किरकिरी बनने लगी है. कल तक सत्तारूढ़ दल झारखंड मुक्ति मोर्चा राज्यपाल की कार्यशैली से नाराज होकर सवाल उठा रहा था अब विधानसभाध्यक्ष रबीन्द्रनाथ महतो ने ना केवल झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ता सम्मेलन में सवाल खड़े किए बल्कि ट्वीट के माध्यम से हमला बोला है.
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विधानसभाध्यक्ष के इस ट्वीट में राजभवन पर बीजेपी के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया गया है. विधानसभाध्यक्ष ने अपने ट्यूट में लिखा है कि विधानसभा में विशेष सत्र बुलाकर आदिवासियों की पहचान सरना धर्म कोड को विधानसभा से पारित कर राजभवन को भेजा लेकिन राजभवन से बिल को लौटाया गया. 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति को विधानसभा से पारित कर राजभवन को भेजा गया, वह भी लौटा दिया गया. राजभवन भी भाजपा के इशारे पर काम कर रहा है.
राजभवन को लेकर झामुमो और बीजेपी आमने सामने:विधानसभाध्यक्ष से पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने राजभवन पर सवाल खड़ा करते हुए बीजेपी के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया था. इसके तुरंत बाद विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो ने जिस तरह से झारखंड मुक्ति मोर्चा कार्यकर्ता सम्मेलन में बतौर पार्टी नेता बयान दिया है और उसके बाद ट्विटर के माध्यम से इसे सार्वजनिक की है उससे कहीं ना कहीं राजभवन और राज्य सरकार के बीच की दूरी बढ़ाने का काम किया है.
इधर, बीजेपी झामुमो के द्वारा लगाए जा रहे आरोप को खारिज करती रही है. बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा का मानना है कि राज्यपाल एक संवैधानिक अधिकार संपन्न पद है जो राज्य का दौरा कर जमीनी सच्चाई जान सकते हैं. मगर इस दौरान जब हकीकत सामने आता है तो इनकी नाराजगी बढ़ने लगती है. बहरहाल आरोप प्रत्यारोप के बीच एक बार फिर राजभवन की कार्यशैली पर सियासत जारी है.