रांची:झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र 28 जुलाई से 4 अगस्त तक चलेगा. सदन में बतौर मंत्री बेबी देवी पहली बार मौजूद रहेंगी. बेबी देवी हेमंत सरकार की दूसरी मंत्री हैं जो निर्वाचन से पूर्व मंत्री बनी हैं. जगरनाथ महतो के निधन के बाद उनकी जगह मंत्री बनी बेबी देवी को उत्पाद मंत्री बनाया गया है.
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मानसून सत्र के दौरान सरकार द्वारा सदन में कई विधेयक लाने की तैयारी की जा रही है. इसमें पिछले दिनों राजभवन से लौटाए गए कुछ विधेयक भी शामिल हैं. 28 जुलाई को सदन की कार्यवाही दिन के 11 बजे से शुरू होगी. पहले दिन की औपचारिकता पूरी होने के बाद सोमवार 31 जुलाई 11 बजे तक के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित रहेगा. 4 जुलाई तक चलने वाले झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सदन में प्रश्नकाल से लेकर सरकार द्वारा अनुपुरक बजट, विनियोग विधेयक लाया जाएगा. दोनों ओर से बहस के बाद इसे सदन से पास कराने का प्रयास सरकार द्वारा किया जाएगा. चूंकि पंचम विधानसभा का कार्यकाल समापन की ओर बढ़ चला है इसलिए इस बार के मानसून सत्र को अहम माना जा रहा है.
सदन की कार्यवाही शांतिपूर्ण रूप से संचालित करने की तैयारी में जुटे स्पीकर रबीन्द्रनाथ महतो इस सत्र को एतिहासिक बता रहे हैं. उनका मानना है कि पंचम विधानसभा का यह कार्यकाल चूंकि अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ चला है इसलिए सभी सदस्य अपने-अपने क्षेत्र की समस्या सदन में रखकर सदन के एक-एक पल का सदुपयोग करेंगे.
झारखंड विधानसभा मानसून सत्र कार्यक्रम
- 28 जुलाई: विधानसभा के सत्र में नहीं रहने की अवधि में राज्यपाल द्वारा प्रख्यापित अध्यादेशों की प्रामाणिक कृतियों का सभा पटल पर रखा जाना. शोक प्रकाश
- 29 और 30 जुलाई- अवकाश
- 31 जुलाई- प्रश्न काल, वित्तीय वर्ष 2023-24 के प्रथम अनुपूरक व्यय विवरणी का उपस्थापन
- 01 अगस्त- प्रश्नकाल, वित्तीय वर्ष 2023 -24 के प्रथम अनुपूरक व्यय विवरणी पर सामान्य वाद-विवाद, मतदान, तत्संबंधी विनियोग विधेयक का उपस्थापन एवं पारण
- 02 अगस्त- प्रश्नकाल, राजकीय विधेयक एवं अन्य राजकीय कार्य
- 03 अगस्त- प्रश्नकाल, राजकीय विधेयक एवं अन्य राजकीय कार्य
- 04 अगस्त- प्रश्नकाल, राजकीय विधेयक एवं अन्य राजकीय कार्य, गैर सरकारी संकल्प
कम कार्य दिवस होने पर सवाल: संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार प्रत्येक 06 महीने के अंदर सदन को आहूत करना आवश्यक है. इस वजह से सामान्य तौर पर विधानसभा का सत्र बजट सत्र, मानसून सत्र और शीतकालीन सत्र के रूप में बुलाया जाता है. आम तौर पर बजट सत्र को छोड़कर मानसून और शीतकालीन सत्र कम दिनों का बुलाया जाता है. इसके कारण सदन में सभी विधायक अपने सवाल नहीं रख पाते हैं. इस बार भी सदन की कार्यवाही महज पांच कार्यदिवस का होगा जिसमें सभी विधायक के द्वारा प्रश्न रखना मुश्किल है. भाजपा विधायक सीपी सिंह ने सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि सरकार चाहती ही नहीं है कि सदन में विधायक सवाल रखें. इतने कम दिनों के इस मानसून सत्र में 82 विधायक कैसे सवाल रख पाएंगे.
नेता प्रतिपक्ष को लेकर संशय बरकरार:पंचम विधानसभा में अब तक बगैर नेता प्रतिपक्ष के सदन चलता रहा है. ऐसे में हर बार सदन शुरू होने से पहले यह चर्चा होने लगती है कि झारखंड विधानसभा का यह कार्यकाल क्या बगैर नेता प्रतिपक्ष का ही समाप्त हो जाएगा. इन सबके बीच बाबूलाल मरांडी के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद नेता प्रतिपक्ष को लेकर एक नए सिरे से बीजेपी के दूसरे बड़े नेताओं को जिम्मेदारी मिलने की चर्चा शुरू हो गई है. अगर ऐसा होता है तो नेता प्रतिपक्ष को लेकर छाया ग्रहण दूर हो जाएगा. गौरतलब है कि बीजेपी ने बाबूलाल मरांडी को भाजपा विधायक दल का नेता मनोनीत कर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में अनुशंसा कर रखी है. मगर स्पीकर कोर्ट में चल रहे दल बदल के मामले की वजह से बाबूलाल को नेता प्रतिपक्ष की स्वीकृति अब तक नहीं मिली है. मानसून सत्र का कार्यकाल भले ही छोटा है. मगर विपक्ष की तैयारी को देखते हुए अंदाजा लगाया जा सकता है कि सदन की कार्यवाही हंगामेदार होगा.