रांचीः बजट सत्र के दौरान मंगलवार को सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच नोक-झोंक होती रही. सदन की कार्यवाही 11 बजे शुरू होते ही गेरुआ रंग की टीशर्ट में सदन के अंदर पहुंचे भाजपा विधायक ने नियोजन नीति को लेकर हंगामा मचाना शुरू कर दिया. खतियानी जोहर के नारे सदन के अंदर गूंजने लगे और भाजपा विधायक इस दौरान वेल में पहुंच गए. रिपोर्टिंग टेबुल को थपथपा कर विरोध दर्ज करा रहे भाजपा विधायकों ने बांग्लादेशी नाय चलतो की.. नारेबाजी कर हंगामा मचाने लगे. सभा की कार्यवाही हंगामा बढ़ता देख स्पीकर रबींद्रनाथ महतो ने 12:30 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया.
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विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने मुंडा ने 60ः40 पर उठाए सवालः स्थगन के बाद सभा की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई. जिसमें सूचनाएं पढ़ी गईं, लेकिन इस दौरान ही भाजपा विधायक वेल में पहुंचकर हंगामा करते नजर आए. वहीं भाजपा विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि राज्य के युवा परेशान हैं. राज्य सरकार से हम सवाल करना चाहते हैं कि सरकार बताए कि 1902 का क्या हुआ, 2016 से पहले की नियोजन नीति में क्या है और 60:40 क्या है.
भोजनावकाश के बाद भी होता रहा शोरगुल, भाजपाईयों ने किया वाक आउटः भोजन अवकाश के बाद भी सदन में शोरगुल होता रहा. भाजपा विधायक सीपी सिंह ने सूचना के तहत सरकार को अवगत कराया कि स्पीकर का पद गरिमा का पद होता है. इस पद पर सेवा देने के बाद पूर्व स्पीकर को कुछ जरूरी सुविधाएं भी मिलनी चाहिए. इस पर संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि एक कमेटी बनाकर उसकी रिपोर्ट ली जाएगी और उस आधार पर कोई निर्णय लिया जाएगा. कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के बजट के पक्ष में विधायक रामदास सोरेन ने सदन में पक्ष रखा.
विधायक अनंत ओझा ने कृषि मित्रों के पक्ष में उठायी आवाजः बजट पर अनंत ओझा ने सदन में कहा कि 2019 में मुख्यमंत्री ने कृषि मित्रों की बात की थी, लेकिन आज भी वो सड़क पर हैं. बजटीय प्रावधान के अनुरूप मात्र 18% राशि ही कृषि विभाग में खर्च हुई हैं. अनंत ओझा ने कहा कि विभाग ने 53 योजनाओं पर कोई काम नहीं किया. इन सबके बीच कृषि बजट पर सरकार के जवाब से पहले भाजपा विधायकों ने एक बार फिर वेल में आकर हंगामा किया और नाय चलतो 60:40 का मामला उठाते हुए सदन से वॉकआउट कर गए.
विपक्ष के रूख पर मंत्री आलमगीर ने जतायी आपत्तिः संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने विपक्ष के रूख पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि सदन की कार्यवाही दोनों पक्षों के सहयोग से संचालित होती है. स्पीकर सभी के लिए समय भी निर्धारित करते हैं. विपक्ष के नेता अपनी बात रख देते हैं, लेकिन जब सरकार की ओर से जवाब देने का मौका आता है, तब सुनने के बजाय सदन से वॉकआउट कर जाते हैं. यह संसदीय व्यवस्था के लिए उचित नहीं है. अपनी बात को प्रचारित करने के लिए वह सदन से बाहर निकलने का काम करते हैं. नियोजन नीति में संशोधन सही है और सरकार ने जो निर्णय लिया है वह सही तरीके से लिया है. नियम में संशोधन के लिए सदन में इसे लाना कोई जरूरी नहीं था.
मुख्यमंत्री ने भाजपा नेताओं पर किया कटाक्षः इधर, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भारतीय जनता पार्टी पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि बीजेपी के लिए मैं कौन सा शब्द यूज करूं यह मैं सोच रहा हूं. आने वाले समय में वे किस तरह की राजनीतिक रोटी सेकेंगे यह तो समय आने पर ही पता चलेगा, लेकिन वर्तमान स्थिति में मैं यही कह सकता हूं कि भारतीय जनता पार्टी फिलहाल मीडिया बंधुओं के सहारे ही उनकी अभी रोजी-रोटी चल रही है.