रांची:कोर्ट फीस संशोधन विधेयक वापस लेने की मांग के साथ झारखंड के करीब 33000 अधिवक्ता आज से खुद को न्यायिक कार्य से दूर रखेंगे. झारखंड राज्य बार काउंसिल ने सरकार पर अधिवक्ताओं के हितों की अनदेखी करने का आरोप लगया है(Jharkhand Advocates abstain from judicial work). झारखंड राज्य बार काउंसिल जिन बातों का विरोध कर रही है उनमें झारखंड में बेतहाशा कोर्ट फीस में बढ़ोतरी, झारखंड में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट नहीं लागू करने, बजट में अधिवक्ता कल्याण के लिए निधि आवंटित नहीं करने, लोक अभियोजक एवं अपर लोक अभियोजक राज्य के बार एसोसिएशन से नहीं बनाना शामिल है.
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झारखंड राज्य बार काउंसिल ने ये भी फैसला किया है कि 7 जनवरी 2023 को मुख्यमंत्री आवास पर होने वाली अधिवक्ताओं की बैठक से झारखंड राज्य बार काउंसिल का कोई संबंध नहीं है और ना ही काउंसिल का कोई सदस्य इसमें भाग लेगा. 8 जनवरी को पूरे राज्य के बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों की बैठक झारखंड राज्य बार काउंसिल में दिन के 11:30 बजे से होगी, जिसमें आगे की रणनीति तय होगी.
झारखंड सरकार के द्वारा कोर्ट फीस में की गई वृद्धि को भले ही संशोधित किया गया है, लेकिन राज्य सरकार के इस फैसले से अधिवक्ता संतुष्ट नहीं हैं. राज्य सरकार ने विभिन्न न्यायालयों में लगने वाले कोर्ट फी में अप्रत्याशित वृद्धि की थी, जिसके खिलाफ हाई कोर्ट में जनहित याचिका भी दाखिल की गई थी. राज्य सरकार ने भारी विरोध को देखते हुए कोर्ट फी में की गई वृद्धि में आंशिक संशोधन करते हुए एक बार फिर शीतकालीन सत्र के दौरान संशोधन विधेयक पास किया है, लेकिन इसके बाद भी अधिवक्ताओं की नाराजगी खत्म नहीं हुई है.