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झारखंड के अधिवक्ता 6 जनवरी से न्यायिक कार्यों से रहेंगे दूर, जानें वजह - Ranchi News

झारखंड सरकार पर अधिवक्ताओं के हितों की अनदेखी करने का आरोप लगा है. यह आरोप झारखंड राज्य बार काउंसिल की ओर से लगाया है. साथ ही यह फैसला लिया गया है कि राज्य भर के अधिवक्ता 6 जनवरी से न्यायिक कार्यों से अलग रहेंगे (Jharkhand Advocates abstain from judicial work).

Jharkhand Advocates abstain from judicial work
झारखंड राज्य बार काउंसिल

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Published : Jan 4, 2023, 10:17 PM IST

रांची: झारखंड राज्य बार काउंसिल ने झारखंड सरकार पर अधिवक्ताओं के हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए 6 जनवरी से न्यायिक कार्यों से अलग रहने का फैसला किया है (Jharkhand Advocates abstain from judicial work). झारखंड बार काउंसिल की हुई बैठक में इस प्रस्ताव पर निर्णय लेते हुए बार काउंसिल ने सरकार पर झारखंड में बेतहाशा कोर्ट फी में बढ़ोतरी, राज्य में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट नहीं लागू करने, बजट में अधिवक्ता कल्याण के लिए निधि आवंटित नहीं करने, लोक अभियोजक एवं अपर लोक अभियोजक राज्य के बार एसोसिएशन से नहीं बनाने के विरोध में यह फैसला लिया है.

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सीएम की बैठक से दूर रहेगा बार काउंसिल: स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्णा की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में सर्वसम्मति से यह भी फैसला लिया गया कि 7 जनवरी 2023 को मुख्यमंत्री आवास पर होने वाली अधिवक्ताओं की बैठक से झारखंड राज्य बार काउंसिल का कोई संबंध नहीं है और ना ही काउंसिल का कोई सदस्य इसमें भाग लेगा. बैठक में सर्वसम्मति से यह भी तय हुआ कि 8 जनवरी को पूरे राज्य के बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों की बैठक झारखंड राज्य बार काउंसिल में दिन के 11:30 बजे से होगी, जिसमें आगे की रणनीति तय होगी.

बैठक में शामिल लोग: बैठक में झारखंड राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्णा, उपाध्यक्ष राजेश कुमार शुक्ल, बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य प्रशांत कुमार सिंह, काउंसिल के सदस्य महेश तिवारी, अमर सिंह, राधेश्याम गोस्वामी, मृत्युंजय कुमार श्रीवास्तव, बालेश्वर प्रसाद सिंह ए के रसीदी, संजय विद्रोही, परमेश्वर मंडल, हेमंत कुमार सिकरवार, रिंकू कुमारी भगत, अनिल कुमार महतो, धर्मेंद्र नारायण, कुंदन प्रकाशन, अनिल कुमार महतो, गुणेश्वर प्रसाद झा, राजकुमार सहित अन्य सदस्य शामिल थे.

राज्य सरकार के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं अधिवक्ता: झारखंड सरकार के द्वारा कोर्ट फीस में की गई वृद्धि को भले ही संशोधित किया गया है, लेकिन राज्य सरकार के इस फैसले से अधिवक्ता संतुष्ट नहीं हैं. दिसंबर 2021 में कैबिनेट से पास होने के बाद राज्य सरकार ने विभिन्न न्यायालयों में लगने वाले कोर्ट फी में अप्रत्याशित वृद्धि की थी, जिसके खिलाफ हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई थी. इतना ही नहीं इसके खिलाफ राज्य के अधिवक्ताओं ने आंदोलन की धमकी दी थी. राज्य सरकार ने भारी विरोध को देखते हुए कोर्ट फी में की गई वृद्धि में आंशिक संशोधन करते हुए एक बार फिर हाल ही में शीतकालीन सत्र के दौरान संशोधन विधेयक पास किया है.

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