रांचीःझारखंड एकेडमिक काउंसिल सीबीएसई और आईसीएसई की तर्ज पर मैट्रिक की परीक्षा रद्द कर सकती है. इसे लेकर स्कूली शिक्षा साक्षरता विभाग मंथन कर रही है. कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए और तीसरी लहर के मद्देनजर यह बड़ा निर्णय सरकार ले सकती है.
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मैट्रिक बोर्ड का एग्जाम रद्द होने की संभावना
पहले ही सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड ने दसवीं की परीक्षा आयोजित नहीं करने का फैसला ले लिया है. यह दोनों बोर्ड नौवीं और दसवीं के अंकों के आधार पर मैट्रिक का रिजल्ट तैयार करने में जुटा है. जून या फिर जुलाई के प्रथम सप्ताह तक आईसीएसई ओर सीबीएसई बोर्ड की दसवीं का रिजल्ट जारी कर दिया जाएगा. ऐसे में जैक पिछड़ न जाए इसी के मद्देनजर मैट्रिक का एग्जाम भी रद्द किए जाने को लेकर झारखंड स्कूली शिक्षा साक्षरता विभाग मंथन कर रहा है. हालांकि राज्य सरकार के कुछ एक्सपर्ट कहते हैं कि परीक्षा लेना जरूरी है. लेकिन जून में परीक्षा का संचालन होने की संभावना ना के बराबर है. अगर 2 महीने बाद परीक्षा का आयोजन होता भी है तो रिजल्ट का प्रकाशन करने में काफी देरी होगी और इंटरमीडिएट प्लस टू में नामांकन भी शुरू हो जाएगा. इस स्थिति में झारखंड बोर्ड के बच्चों को काफी नुकसान हो सकता है. ऐसे ही तमाम विषय वस्तुओं की जानकारी लेते हुए शिक्षा विभाग मैट्रिक बोर्ड का एग्जाम रद्द करने पर विचार कर रहा है.
नौवीं क्लास के रिजल्ट के आधार पर मैट्रिक का निकाला जा सकता है रिजल्ट
नौवीं क्लास के रिजल्ट के आधार पर विद्यार्थियों को पास किया जा सकता है. अगर मैट्रिक की परीक्षा रद्द हो जाती है तो फिर इंटरमीडिएट की परीक्षा पर शिक्षा विभाग का ध्यान होगा और कोरोना के मामले कम होने पर अगस्त तक इंटरमीडिएट का एग्जाम लिया जा सकता है. परीक्षा पैटर्न में भी बदलाव का संकेत है. इंटरमीडिएट की परीक्षा लेना जरूरी है क्योंकि विश्वविद्यालय में नामांकन के लिए इंटरमीडिएट में पास होना अति आवश्यक है.
14 महीने से बंद है स्कूल
कोरोना महामारी के कारण पिछले 14 महीने से स्कूल का संचालन नहीं हुआ. ऐसे में मैट्रिक की परीक्षा को लेकर विद्यार्थी पूरी तरह तैयार भी नहीं है. कोरोना वायरस के कारण उनकी मानसिक स्थिति भी सही नहीं है. ऐसे में सरकार इस दिशा में पहल कर सकती है. जानकारी के मुताबिक जून महीने में ही इस पर फैसला आने की पूरी संभावना है.