रांचीः खेल और खिलाड़ियों के विकास को लेकर घोषणाएं की जा रही है, लेकिन ऐसे कई खिलाड़ी हैं जो आज भी सरकारी मदद को लेकर गुहार लगाने को मजबूर हैं. आज हम बात कर रहे हैं जैवलिन थ्रो की नेशनल प्लेयर रह चुकी और शानदार एथलेटिक्स कोच मारिया गोरती खलखो की. इन दिनों मारिया की हालत काफी नाजुक है. उनकी सेहत भी काफी नासाज चल रही है, लेकिन इस ओर न तो सरकार का ध्यान है और न ही किसी संबंधित पदाधिकारी का ध्यान है.
वर्ष 2019 में हो चुका है एक बार इलाज
वर्ष 2019 में रिम्स में भी एथलेटिक्स कोच मारिया गोरती खलखो का इलाज चला और पता चला कि इनका एक लंग्स पूरी तरह खराब हो चुका है. उस दौरान खेल विभाग की ओर से थोड़ी बहुत मदद मिली थी, लेकिन फिर एक वर्ष बीत गया. मारिया का हाल-चाल जानने भी उनके घर कोई नहीं पहुंचा. नामकुम की रहने वाली मारिया आज भी सरकारी आर्थिक मदद के लिए गुहार लगा रही है.
एक लाख रुपये देने की की गई थी घोषणा
सरकार ने एक लाख रुपये की आर्थिक मदद किए जाने का वादा किया था, लेकिन इस वादे को सरकार शायद भूल गई है. नामकुम प्रखंड के आरा गेट के समीप मारिया रहती हैं. हर महीने लगभग 4 हजार की दवा की इन्हें जरूरत पड़ती है, लेकिन इस ओर किसी ने भी ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा और आज वह आर्थिक मदद के लिए सरकार से हाथ फैलाए खड़ी है, जबकि एथलेटिक्स में इनका परचम इन के खेल के समय लहराता था. उस दौरान आगे पीछे इनके मीडिया के कैमरे के साथ-साथ कई पदाधिकारी मंडराते थे और आज उम्र के साथ हर कुछ बेगाना हो गया. एथलेटिक्स कोच के तौर पर मारिया गोरती खलखो ने लातेहार में 1988 में योगदान दिया. अगस्त 2018 में संविदा रहते रिटायर्ड भी हो गई. 30 वर्षों में उनका मानदेय 1000 से 31 हजार तक पहुंचा और अंतिम समय में एथलेटिक्स बालिका सेंटर में वह अपनी योगदान दी. रिटायरमेंट के बाद से ही मारिया के हाथ खाली हो गए और वह एक एक रुपये के लिए मोहताज होने लगी.