देवेंद्र कुमार, अध्यक्ष, झारखंड राज्य जनसेवक संघ रांची: सरकार के उदासीन रवैया से राज्य के कृषि विभाग के अधीन काम करनेवाले जनसेवक आंदोलन पर हैं. बुधवार को हाथों में तख्ती और तिरंगा लेकर उन्होंने न्याय मार्च निकाला और झारखंड मंत्रालय के सामने धरना दिया. हालांकि, जनसेवक झारखंड मंत्रालय का घेराव करने निकले थे. लेकिन बाद में उन्होंने अपना इरादा बदल दिया और न्याय मार्च के जरिए 11 सूत्री मांगों को पूरा करने के लिए जनसेवकों ने बाद में धरना देकर विरोध जताया.
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किसानों और कृषि विभाग के बीच पूल का काम करते हैं जनसेवक:झारखंड में कृषि के क्षेत्र में सरकार की योजनाओं को धरातल पर उतारने में किसानों और कृषि अधिकारियों के बीच पूल का काम करने में जनसेवक अहम भूमिका निभाते हैं. बीज वितरण से लेकर केसीसी और अन्य योजनाओं को धरातल पर उतारने में इनका योगदान होता है. लेकिन ये जनसेवक आज आंदोलन करने पर विवश हैं. अपने 11 सूत्री मांगों को लेकर बुधवार को हजारों की संख्या में सेवकों ने रांची में न्याय मार्च निकाला और झारखंड मंत्रालय के सामने धरना दिया. राज्यस्तरीय आंदोलन के तहत राज्य भर के 1500 से अधिक कृषि जनसेवक ने अपने अपने जिला मुख्यालयों में प्रदर्शन किया है.
आंदोलनरत जनसेवकों का आरोप है कि 10 साल सेवा करने पर वेतन बढ़ने की उम्मीद थी, लेकिन यहां तो उल्टा हो गया है. कृषि निदेशक ने 2012 में बहाल जनसेवकों का ग्रेड पे ही 2400 से घटा कर 2000 कर दिया है. धरना से पहले हजारों की संख्या में सभी जनसेवक और संवर्ग के समर्थन में आए विभिन्न अलग- अलग सेवा संवर्गों के प्रतिनिधि और सदस्य शालीमार बाजार से प्रोजेक्ट गोलचक्कर होते हुए झारखंड मंत्रालय धुर्वा, रांची तक पद यात्रा करते हुए 'न्याय यात्रा' में शामिल हुए.
गौरतलब है कि झारखंड राज्य जनसेवक संघ के आह्वान पर राज्य के सभी जनसेवक पिछले 23 दिनों से अपनी 11-सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं.
जनसेवकों की ये है मांग:जनसेवकों की मांग है कि VLW यानी जनसेवक संवर्ग के खिलाफ कृषि विभाग द्वारा नियुक्ति नियमावली और ग्रेड-पे में छेड़-छाड़ और षड्यंत्र तत्काल बंद किया जाए. जनसेवक को पहले की तरह तकनीकी पद मानते हुए ग्रेड-पे 4200/- किया जाए. 2012 में नियुक्त जनसेवक को तत्काल MACP का लाभ दिया जाए. झारखंड कृषि शिक्षा पर्षद का अविलंब गठन करते हुए राज्य स्तरीय मेरिट लिस्ट जारी की जाए. इसके साथ ही उन्होंने मांग की है कि जनसेवकों को गैर कृषि कार्यों से मुक्त कर अनिवार्य रूप से कृषि प्रसार के कार्यों में लगाया जाए. इसके अलावा जनसेवकों की और भी मांगे हैं, जिसके लिए सरकार के खिलाफ वे धरना दे रहे हैं.