रांची: झारखंड के गिरिडीह जिला अंतर्गत पारसनाथ पहाड़ी को पर्यटन स्थल (Parasnath hill tourist destination) के तौर पर नोटिफाई किए जाने पर जैन समाज विरोध जता रहा है. पिछले एक हफ्ते में देश के एक दर्जन से भी ज्यादा शहरों में सरकार के इस फैसले के विरोध में प्रदर्शन हुए हैं. कई जैन मुनियों ने भी सरकार से यह फैसला वापस लेने की मांग की है. पारसनाथ पहाड़ी दुनिया भर के जैन धर्मावलंबियों के बीच सर्वोच्च तीर्थ सम्मेद शिखर के रूप में विख्यात है. जैनियों के 24 में से 20 तीथर्ंकरों की निर्वाण भूमि होने से यह उनके लिए पूज्य क्षेत्र है. जैन समाज का कहना है कि पर्यटन स्थल घोषित होने से इस पूज्य स्थान की पवित्रता भंग होगी. मांस भक्षण और मदिरा पान जैसी अनैतिक गतिविधियां बढ़ेंगी और इससे अहिंसक जैन समाज की भावना आहत होगी.
पारसनाथ झारखंड की सबसे ऊंची पहाड़ी है, जो चारों ओर वन क्षेत्र से घिरा है. पहाड़ी की तराई में जैनियों के दर्जनों मंदिर हैं. 2 अगस्त 2019 को झारखंड सरकार की ओर से की गई अनुशंसा पर केंद्रीय वन मंत्रालय ने पारसनाथ के एक हिस्से को वन्य जीव अभ्यारण्य और इको सेंसिटिव जोन के रूप में नोटिफाई किया है. जैन समाज का कहना है कि इलाके में पर्यावरण पर्यटन और अन्य गैर धार्मिक गतिविधियों की इजाजत देना गलत है. इस नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग को लेकर देश के कई हिस्सों में जैनियों ने रैलियां निकाली हैं. मंगलवार को मध्य प्रदेश के धार शहर में विश्व जैन संगठन के आान पर पैदल मौन मार्च निकाला गया. (Protests by Jain community)