रांचीः अपने अदम्य साहस और वीरता के लिए जाने जाने वाले गोरखा जवानों की बटालियन झारखंड आर्म्ड फोर्स वन के गठन को 144 साल हो गए हैं. 144 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में झारखंड आर्म्ड फोर्स अपना 144 वां स्थापना दिवस बड़े ही धूमधाम के साथ मना रहा है. रांची के डोरंडा स्थित जैप ग्राउंड में स्थापना दिवस को लेकर एक सप्ताह तक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.
बेहतरीन है जैपःझारखंड में नक्सलियों के खिलाफ मोर्चा लेना हो या फिर झारखंड के माननीयों की सुरक्षा की जिम्मेवारी यह कार्य कई दशकों से झारखंड आर्म्ड फोर्स के जवान पूरी जिम्मेदारी के साथ निभा रहे हैं. विक्ट्रोरिया काल से ही वीआईपी सुरक्षा को लेकर सबसे विश्वसनीय फोर्स माने जाने वाले झारखंड आर्म्ड फोर्स वन अपना 144वां स्थापना दिवस मना रहा है. शुक्रवार को रांची के डोरंडा स्थित जैप ग्राउंड में स्थापना दिवस समारोह बड़े ही भव्य तरीके से मनाया गया. कार्यक्रम की शुरुआत शहीद बेदी पर श्रद्धांजलि देकर की गई.
जैप के अपर पुलिस महानिदेशक हुए शामिलःइस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद जैप के अपर पुलिस महानिदेशक राजकुमार मल्लिक ने झारखंड आर्म्ड फोर्स के गौरवशाली इतिहास के बारे में विस्तार से बताया. आरके मल्लिक ने कहा कि जैप वन का इतिहास बहुत ही गौरवशाली रहा है. अनुशासन और अपने काम के प्रति जुनून देखना हो तो गोरखा वाहिनी को देखने की जरूरत है. आरके मल्लिक ने अपने चतरा एसपी रहने के दौरान नक्सलियों से किस तरह गोरखा जवान लोहा लेते थे उन यादों को साझा किया. मल्लिक ने बताया कि स्थापना दिवस पर जैप परिवार की खुशियों में शामिल होने आया हूं. इससे पूर्व मुख्य अतिथि सहित अन्य अधिकारियों ने परेड का निरीक्षण किया. इस दौरान जवानों ने सलामी दी. इस दौरान जैप वन ग्राउंड पर जवानों ने परेड पेश किया और बैंड पार्टी ने बैंड डिस्पले से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया.
न्यू रिजर्व फोर्स के नाम हुई थी स्थापना, अलग झारखंड में बना जैपःजनवरी 1880 में अंग्रेजों के शासनकाल में इस वाहिनी की स्थापना न्यू रिजर्व फोर्स के नाम से हुई थी. वर्ष 1892 में इस वाहिनी को बंगाल मिलिट्री पुलिस का नाम दिया गया. इस वाहिनी की टुकड़ियों की प्रतिनियुक्ति तत्कालीन बंगाल प्रांत, बिहार, बंगाल एवं ओडिशा को मिलाकर की जाती रही. वर्ष 1905 में बंगाल मिलिट्री पुलिस का नाम बदलकर गोरखा मिलिट्री रखा गया. राज्य के अन्य स्थानों पर प्रतिनियुक्त गोरखा सिपाहियों को भी इस वाहिनी में समायोजित किया गया.
देश में स्वतंत्रता के बाद वर्ष 1948 में इस वाहिनी का नाम बदलकर प्रथम वाहिनी बिहार सैनिक पुलिस रखा गया था. इस वाहिनी की प्रतिनियुक्ति नियमित रूप से देश के विभिन्न राज्यों में की जाती रही, जिसमें वर्ष 1902 से 1911 तक दिल्ली दरबार, वर्ष 1915 में बंगाल, 1917 में मध्य प्रदेश के मयूरभंज, 1918 में मध्य प्रदेश के सरगुजा, 1935 में पंजाब, 1951 में हैदराबाद, 1953 में जम्मू-काश्मीर, 1956 में असम (नागालैंड), 1962 में देहरादून के चकरौता, 1963 में नेफा, 1968-69 में नेफा के प्रशिक्षण केंद्र हाफलौंग असम आदि शामिल हैं. यहां तक कि वर्ष 1971 में भारत-पाक युद्ध के समय इस वाहिनी को त्रिपुरा के आंतरिक सुरक्षा कार्यों में प्रतिनियुक्त किया गया था. वहीं साहसपूर्ण कार्यों के लिए वाहिनी को भारत सरकार ने पूर्वी सितारा पदक से अलंकृत किया गया था. वर्ष 1982 में दिल्ली में आयोजित नवमी एशियाड खेलकूद समारोह के दौरान इस वाहिनी की प्रतिनियुक्ति की गई, जहां बेहतर कार्य के लिए दिल्ली सरकार ने सराहा था. वर्ष 2000 में झारखंड अलग गठन के बाद इस वाहिनी का नाम झारखंड सशस्त्र पुलिस वन (जैप वन) रखा गया.