रांची:रेल मंत्रालय के निर्देश पर रांची रेल मंडल ने करोड़ों रुपए खर्च कर हटिया यार्ड में 60 कोच वाली एक ट्रेन को आइसोलेशन ट्रेन में तब्दील किया है, लेकिन अब तक इस आइसोलेशन ट्रेन का उपयोग नहीं हुआ है. रांची रेल मंडल की योजना इस ट्रेन को अन्य तरीके से उपयोग करने की है. इस ट्रेन को पटरी पर चलाने को लेकर मंडल विचार कर रही है.
कुछ ट्रेनें आइसोलेशन वार्ड में तब्दील
कोरोना वायरस को देखते हुए देश भर के तमाम जगह पर आइसोलेशन वार्ड का निर्माण करवाया गया है. बड़े-बड़े अस्पतालों को राज्य और केंद्र सरकार ने कोविड-19 के लिए अलग से अस्पताल बनाया है. कई मिशनरी अस्पताल के अलावा निजी अस्पताल और सरकारी अस्पतालों में भी कोविड-19 का वार्ड बनाया गया है. इसी कड़ी में रेल मंत्रालय भी केंद्र सरकार को सहयोग करने के उद्देश्य से अपने तमाम रेल मंडलों को निर्देश दिया था कि वह भी अपने-अपने स्तर से कुछ ट्रेनों को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील करें.
इसे देखते हुए रांची रेल मंडल ने करोड़ों रुपए की लागत से 60 कोच वाली ट्रेन को आइसोलेशन ट्रेन में तब्दील कर दिया है, लेकिन इस ट्रेन का उपयोग अब तक राज्य सरकार ने नहीं किया और न ही रेल मंडल ने इसका उपयोग किया है.
मामले को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने जब संबंधित अधिकारी नीरज कुमार से बातचीत की तो उन्होंने कहा की इस ट्रेन को अब पटरी पर दौड़ाने को लेकर विचार किया जा रहा है. वरीय अधिकारियों के साथ लगातार विचार-विमर्श का दौर जारी है. हरी झंडी मिलते ही ट्रेन को श्रमिक स्पेशल ट्रेन के रूप में भी चलाया जा सकता है. हालांकि मेडिकल की दृष्टि से लगाए गए उन तमाम उपकरणों को रेलवे अस्पताल में शिफ्ट करना पड़ेगा. फिलहाल मामले को लेकर चर्चा हो रही है.