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कांग्रेस के नट बोल्ट को टाइट करने की है जरूरत, देखिए पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय के साथ खास बातचीत

बिहार चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन के बाद पार्टी को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. केंद्रीय नेतृत्व से लेकर राज्यस्तर तक पार्टी की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं. लगातार दो लोकसभा चुनाव हारने वाली पार्टी 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' की स्थिति अब पिछलग्गू पार्टी की तरह हो गई है. झारखंड प्रदेश कांग्रेस में भी नेतृत्व को लेकर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं. पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की है.

Interview of Congress leader and former Union Minister Subodhkant sahay
सुबोधकांत सहाय

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Published : Nov 19, 2020, 6:57 PM IST

रांची:छह दशक से ज्यादा समय तक देश की सत्ता की बागडोर संभालने वाली कॉन्ग्रेस पार्टी की साख समय के साथ कम होने लगी है. लगातार दो लोकसभा चुनाव हारने वाली पार्टी 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' की स्थिति अब पिछलग्गू पार्टी की तरह हो गई है. आखिर क्यों पार्टी के कई प्रदेश अध्यक्षों ने नाता तोड़ लिया, लेकिन जब इनमें से कुछ ने पार्टी में वापसी की कोशिश की तो अपनों ने ही विरोध करना शुरू कर दिया.

सुबोधकांत सहाय से बातचीत(भाग-1)

कांग्रेस क्यों कमजोर हो गई है. पार्टी में मास लीडर क्यों नहीं दिखता. जनता के बीच साख खोने के पीछे कि आखिर क्या वजह है. ऐसे ही कई सवालों के साथ हमारे वरिष्ठ सहयोगी राजेश कुमार सिंह ने झारखंड के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय से बातचीत की. सुबोधकांत सहाय का मानना है कि झारखंड में कांग्रेस की भूमिका पिछलग्गू पार्टी के रूप में नहीं बल्कि मार्गदर्शक के रुप में रही हैं. जहां तक परफॉर्मेंस की बात है तो इस मोर्चे पर पार्टी को जरूर दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इसकी खास वजह है संघ और भाजपा की तथाकथित सांप्रदायिक सोच. कांग्रेस एकजुटता की राजनीति करती है और भाजपा विभाजन की. इस वजह से कांग्रेस को दो मोर्चों पर संघर्ष करना पड़ता है.

सुबोधकांत सहाय से बातचीत(भाग-2)

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कांग्रेस अपनी विचारधारा की लड़ाई लड़ रही है, लेकिन यह बात सच है कि संगठन की मजबूती के लिए ठोस पहल करने होंगे. उन्होंने वर्तमान राजनीतिक हालात के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी गंभीर सवाल खड़े किए. मध्य प्रदेश और कर्नाटक में हुई राजनीति का जिक्र किया. हालांकि जब सुबोध कांत सहाय से यह पूछा गया कि क्या आप मानते हैं कि झारखंड कांग्रेस आपसी अंतर कलह से अब तक बाहर नहीं निकल पाई है. इस सवाल का उन्होंने सीधे-सीधे तो जवाब नहीं दिया, लेकिन उन्होंने इतना जरूर कहा कि कांग्रेस के नट बोल्ट को टाइट करने का समय आ गया है. कमरे में बैठकर बात करने से जनता के बीच पैठ नहीं बनती. जनता के मुद्दों को लेकर संघर्ष करना होगा.

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