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WORLD AIDS DAY: झारखंड के एचआईवी मरीजों ने कोरोना को कैसे दी शिकस्त, JACS करवा रहा है स्ट्डी, पढ़ें रिपोर्ट - झराखंड खबर

झारखंड में कोरोना से एचआईवी मरीज की मौत का एक मामला ही सामने आया हैं. झारखंड एड्स कंट्रोल सोसायटी इसके कारणों को जानने के लिए स्टडी करवा रही है.

JACS director BP Singh
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Published : Dec 1, 2021, 6:07 AM IST

Updated : Dec 1, 2021, 7:58 AM IST

रांची: भारत में जब कोरोना की एंट्री हुई तो लगा कि HIV मरीजों को इस वायरस से कोई नहीं बचा पाएगा. क्योंकि एचआईवी मरीजों की प्रतिरोधक क्षमता इतनी कमजोर हो जाती है कि एक मामूली बीमारी से भी लड़ पाना मुश्किल हो जाता है. लेकिन झारखंड के PLHIV यानी पर्सन लिविंग विद एचआईवी के मरीजों ने कोरोना को अपने तक फटकने नहीं दिया. झारखंड में कोरोना से एचआईवी मरीज की मौत के मामले पर स्टडी हो रही है.

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कोरोना से एचआईवी मरीज की मौत

कोरोना की वजह से पूरे झारखंड में सिर्फ एक एचआईवी मरीज की मौत हुई. यह रिकॉर्ड आम जनमानस के लिए प्रेरणा के साथ-साथ मिसाल भी है. यह बताता है कि कोरोना को उससे दूरी बनाकर ही हराया जा सकता है. विश्व एड्स दिवस के लिहाज से हमारे ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह ने झारखंड एड्स कंट्रोल सोसायटी के निदेशक बीपी सिंह से कई बिंदुओं पर बात की. उन्होंने बताया कि कोरोना काल में अब तक सिर्फ एक एचआईवी मरीज की मौत हुई है. जो यह बताता है कि शॉफ्ट टारगेट होने के बावजूद कोरोना को शिकस्त दी जा सकती है.

जेएसीएस के निदेशक बीपी सिंह के साथ ब्यूरो चीफ राजेश सिंह की खास बातचीत

अब सवाल है कि यह कैसे संभव हो पाया. जेएसीएस के निदेशक बीपी सिंह ने कहा कि फौरी तौर यह कहा जा सकता है कि इन मरीजों ने खुद को पूरी तरह से आईसोलेट कर लिया होगा. फिर भी इस सफलता के अन्य कारणों को समझने के लिए राज्य स्तर पर एक स्टडी करवाई जा रही है. उन्होंने कहा कि नब्बे के दशक में एचआईवी ने भी मानवता को दहला दिया था. लेकिन लगातार जागरुकता अभियान चलाकर इसपर काबू पाया गया.

निदेशक ने कहा कि समय के साथ बहुत बदलाव आया है. अब एचआईवी मरीज की मदद के लिए लोकपाल का प्रावधान है. जो एंटी रेट्रोवायरल ट्रीटमेंट यानी एटीआर की मॉनिटरिंग के साथ-साथ मरीजों की अन्य समस्याओं को सुलझाने में भी मदद करेगा.

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सरकारी योजनाओं के प्रति दिलचस्पी नहीं

झारखंड में 12,732 मरीजों में से सिर्फ 5,000 ने आयुष्मान कार्ड बनवाया है. अंत्योदय अन्न योजना का लाभ सिर्फ 9 हजार लोग ले रहे हैं. सिर्फ 50 महिलाओं को विधवा पेंशन मिल रहा है. सिर्फ 1,500 को प्रधानमंत्री जनधन योजना से जोड़ा जा सका है. सिर्फ 200 लोग जननी सुरक्षा का लाभ ले रहे हैं. 4 हजार को राज्य सुरक्षा पेंशन योजना का लाभ मिल रहा है. अबतक सिर्फ 50 मरीजों ने मुफ्त विधिक सहायता ली है. एचआईवी संक्रमित 180 बच्चे अलग-अलग अनाथालयों में हैं. आंकड़े बता रहे हैं कि सरकार की योजनाओं का लाभ एचआईवी मरीजों तक सही तरीके से नहीं पहुंच रहा है. इसके पीछे एक बड़ा कारण यह भी है कि ज्यादातर संक्रिमत, योजनाओं का लाभ लेने के लिए खुलकर सामने नहीं आना चाहते हैं.

झारखंड में एचआईवी मरीजों का डाटा

झारखंड में दिसंबर 2020 तक 25,751 एचआईवी मरीजों की पहचान हुई थी. जो अक्टूबर 2021 तक बढ़कर 26,972 हो गई है. यानी झारखंड में पिछले दस महीनों में 1,221 एचआईवी संक्रमित मिले हैं. फिलहाल पूरे राज्य में 12,732 एचआईवी मरीज हैं. इन मरीजों को झारखंड एड्स कंट्रोल सोसाइटी की देखरेख में मुफ्त में दवा और इलाज की सुविधा मुहैया करायी जाती है. लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि तमाम जागरूकता अभियानों के बावजूद एचआईवी के मामले सामने आ रहे हैं. इसकी सिर्फ एक वजह है और वह है लापरवाही.

Last Updated : Dec 1, 2021, 7:58 AM IST

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