रांचीः केन्द्र की मोदी सरकार को हैट्रिक लगाने से रोकने के लिए बना I.N.D.I.A महागठबंधन, अब तक लोकसभा चुनाव को लेकर रणनीति बनाने में विफल रही है. इसके पीछे बड़ी वजह नेतृत्वकर्ता कौन होगा इसको लेकर जारी अंदरूनी विवाद माना जा रहा है. हालत यह है कि पीएम मोदी को टक्कर देने के लिए विपक्ष का कौन बड़ा चेहरा होगा इसपर पेंच अभी भी फंसा हुआ है.
इन सबके बीच पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम ने तो I.N.D.I.A महागठबंधन के अंदर विवाद को बढ़ाने का काम किया है. ऐसे में झारखंड में मोदी की गारंटी का जादू को रोकने की तैयारी कर रहे विपक्ष के लिए बड़ी कठिन है डगर पनघट जैसी बात सामने आ रही है. 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए झारखंड की 14 में से 12 सीट जीतकर अपना प्रदर्शन दिखा चुकी है. इस बार सभी के सभी 14 सीट जीतने का लक्ष्य तय किया गया है. इसको लेकर बुधवार को दिल्ली में आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने बीजेपी के थिंक टैंक अमित शाह से मुलाकात कर रणनीति बनायी है. आनेवाले समय में झारखंड की सीटों को लेकर एनडीए की बैठक भी होगी. ऐसे में एनडीए मजबूती के साथ चुनाव मैदान में आने की तैयारी में है जिसकी तुलना में I.N.D.I.A. की तैयारी कमजोर है.
महागठबंधन में जारी है उलझनः झारखंड की 14 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा विपक्ष सीटों के बंटवारे में उलझा हुआ है. राजद और जदयू के तेवर से साफ जाहिर होता है कि हर हाल में लोकसभा चुनाव में सीट लेने से वे नहीं मानेंगे. जदयू झारखंड में कम से कम दो सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है अगर महागठबंधन के अंदर सीट उन्हें मिलती है तो ठीक है नहीं तो एक नया समीकरण बनाने की तैयारी भी प्रदेश में हो रही है. जिसको लेकर बिहार से जदयू के बड़े नेता लगातार झारखंड दौरे पर हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के निर्देश पर झारखंड में जदयू को मजबूत करने की जिम्मेदारी निभा रहे झारखंड प्रभारी अशोक चौधरी लगातार कैंप कर रहे हैं. पिछले दौर में वह यह बता चुके हैं कि हर हाल में झारखंड में संगठन मजबूती के साथ-साथ लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी पार्टी की है जिसके लिए कवायद की जा रही है.