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प्लस टू स्कूलों में नहीं हैं जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा पढ़ाने वाले शिक्षक, सदन में उठा मामला - शिक्षकों के पद खाली

झारखंड में स्कूली बच्चों की स्थानीय भाषा में पढ़ाई नहीं हो रही है. स्कूलों में जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं के शिक्षकों के पद खाली हैं. विधायक बंधु तिर्की ने प्रश्नकाल के दौरान ये मामला उठाया और सरकार से सवाल पूछे. जवाब में प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने आश्वासन देते हुए कहा कि जो कमियां हैं उसपर विचार किया जाएगा.

intermediate schools have shortage of teachers for tribal and regional languages, matter raised in the house
जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा पढ़ाने वाले शिक्षकों की कमी, सदन में उठा मामला

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Published : Mar 23, 2021, 7:07 PM IST

रांची: झारखंड के स्कूलों में जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं के शिक्षकों के पद खाली रहने से बच्चों की स्थानीय भाषा में पढ़ाई नहीं हो पा रही है. इसी कड़ी में मंगलवार को विधायक बंधु तिर्की ने प्रश्नकाल के दौरान ये मामला उठाया. उन्होंने भारत सरकार से पूछा कि क्या ये बात सही है कि 9 जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं के विभाग में केवल 2 स्थाई शिक्षक ही हैं, जबकि राज्य के 14 कॉलेजों में मात्र 30 स्थाई शिक्षक हैं. आगे उन्होंने पूछा कि क्या ये बात सही है कि राज्य के प्लस-2 विद्यालयों में बिना शिक्षक के ही जनजातीय भाषाओं की पढ़ाई होती है.

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जवाब में आश्वासन

प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने जवाब में कहा कि झारखंड में क्षेत्रीय और जनजातीय भाषाओं को पढ़ाने के लिए कुल 466 शिक्षक नियुक्त हैं. जो कमियां हैं उस पर विचार किया जाएगा. सूचना के तहत स्टीफन मरांडी और प्रदीप यादव ने कहा कि प्राथमिक स्कूलों में क्षेत्रीय भाषाओं के पद सृजित नहीं हैं. फिर भी पीजी में पढ़ाई हो रही है. प्रभारी मंत्री ने कहा कि माध्यमिक स्कूलों में 466 शिक्षक जनजातीय भाषा पढ़ा रहे हैं. महाविद्यालय में भी सिर्फ प्लस टू में शिक्षक नहीं हैं. इसके लिए पद सृजन कराया जाएगा, प्रमंडलवार समीक्षा होगी. वहीं, उन्होंने प्राइमरी में भी पद सृजन के लिए समीक्षा का भरोसा दिलाया.

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