रांची: रिम्स में एक बार फिर डॉक्टरों और नर्सों की लापरवाही सामने आई है. इमरजेंसी वार्ड में भर्ती एक गर्भवती महिला मरीज को उसके परिजनों ने खुद इंजेक्शन लगाया. इधर मामला बढ़ता देख रिम्स प्रबंधन ने जांच कमेटी का गठन किया है.
रिम्स में फिर दिखी डॉक्टरों की लापरवाही, परिजनों ने लगाया मरीज को इंजेक्शन - रिम्स की व्यवस्था से मजबूर हैं मरीज
रिम्स में एक बार फिर डॉक्टरों और नर्सों की लापरवाही सामने आई है. नर्स की जगह मरीज के परिजनों को इंजेक्शन देना पड़ रहा है. मामला सामने आने पर रिम्स निदेशक ने जांच कमेटी का गठन कर दिया है. मामला इमरजेंसी वार्ड में भर्ती गर्भवती महिला मरीज से जुड़ा हुआ है.
![रिम्स में फिर दिखी डॉक्टरों की लापरवाही, परिजनों ने लगाया मरीज को इंजेक्शन inquiry Committee constituted on negligence of doctors in RIMS ranchi](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/768-512-7434191-thumbnail-3x2-dd.jpg)
इमरजेंसी के इंचार्ज डॉ निशित एक्का ने बताया कि चतरा की एक गर्भवती महिला को सांप काटने के बाद रिम्स के इमरजेंसी में लाया गया था. जहां डॉक्टरों की ओर से उचित इलाज किया गया, लेकिन सांप काटने वाले मरीज को प्रत्येक 15 से 20 मिनट पर एक विशेष तरह का इंजेक्शन लगाया जाता है. जो इंजेक्शन लगाने के लिए मरीज के परिजन ने इमरजेंसी की भीड़ को देखते हुए खुद लगाने का प्रयास किया. इसे लेकर मरीज के परिजनों ने बताया कि पिछले 2 दिनों से इमरजेंसी के नर्सों ने मरीज को प्रत्येक 20 मिनट पर एक विशेष तरह का इंजेक्शन लगा रही थी, जिसे हम लोगों ने बार-बार देखकर सीख लिया था. इसीलिए इमरजेंसी की भीड़ को देखते हुए हम लोगों ने खुद इंजेक्शन लगाने का प्रयास किया.
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मरीज के परिजन से मिली जानकारी के अनुसार इमरजेंसी में स्टाफ की घोर कमी है. ऐसे में हम लोगों ने स्टाफ की परेशानी को देखते हुए खुद के प्रयास से अपने मरीज को बचाने के लिए खुद से इंजेक्शन लगाने को मजबूर हुए. इधर, पूरे मामले पर रिम्स के निदेशक डॉ डीके सिंह ने बताया कि मामले की जानकारी मिलते ही रिम्स के मेडिकल सुपरिटेंडेंट से रिपोर्ट मांगी गई है. रिपोर्ट आने के बाद मामले में लापरवाही करने वाले पर उचित कार्रवाई की जाएगी. अब ऐसे में यह सवाल उठता है कि एक तरफ मरीज अपनी जिंदगी को बचाने के लिये राज्य के दूर-दराज इलाके से राजधानी के रिम्स पहुंचते हैं और यहां पर मेडिकल स्टाफ की घोर कमी होने के कारण मरीज के परिजनों को ही खुद मरीज की अस्पताल में देखभाल करनी पड़ती है. जो कहीं ना कहीं पूरे स्वास्थ्य व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है.