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Published : May 22, 2021, 6:31 PM IST

Updated : May 22, 2021, 10:46 PM IST

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कोरोना की दूसरी लहर ने बढ़ाई छोटे कारोबारियों की परेशानी, कर्ज लेकर घर चला रहे उद्यमी

कोरोना की दूसरी लहर ने छोटे और मध्यम उद्यमियों की कमर तोड़कर रख दी है. लॉकडाउन के कारण काम पूरी तरह ठप है. कई उद्यमियों की हालत ऐसी हो गई है कि कर्ज लेकर घर चलाना पड़ रहा है.

effect on industry in jharkhand due to covid
झारखंड में कोरोना का कारण उद्योग पर असर

रांची:पिछले साल कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन से कारोबारी अभी उबरे भी नहीं थे कि दूसरे लॉकडाउन ने कमर तोड़कर रख दी है. छोटे और मध्यम दर्जे के उद्योगों का तो दिवाला निकल गया है. छोटे मोटे कारोबार करने वाले उद्यमियों का काम पूरी तरह से ठप है. बाजार बंद होने के कारण व्यवसायिक प्रतिष्ठान बंद हैं और इसके चलते उद्यमियों को घाटा हो रहा है.

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दूसरी लहर ने निवेश पर लगाया ब्रेक

राज्य में छोटे और मध्यम दर्जे के करीब 45 हजार उद्योग हैं जिससे लाखों लोग जुड़े हैं. 2016 में झारखंड में शुरू हुए स्टार्टअप नीति के तहत बड़ी संख्या में लोगों ने इसके प्रति रुचि दिखाई थी. इसके बाद बड़े निवेशक और बैंक भी लघु-कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए हाथ बढ़ाने शुरू किए थे. लेकिन बाद में सरकार की धीमी रफ्तार के कारण 2018 तक मात्र 49 उद्यमियों को ही स्टार्टअप के तहत चयन किया जा सका. इस दौरान राज्य में सरकार बदल गई और हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बनी यूपीए सरकार की तरफ से इस वर्ष स्टार्टअप पॉलिसी में बदलाव करते हुए मार्च से निवेशकों को लुभाने की कोशिश की जा रही थी. कोरोना की दूसरी लहर ने निवेशकों की इच्छाशक्ति पर ब्रेक लगा दिया. इसके कारण बड़े निवेशक राज्य में फिलहाल निवेश नहीं करना चाह रहे हैं.

जीडीपी पर पड़ सकता है बड़ा असर

कुछ महीने पहले तक लग रहा था कि महामारी से तबाह हुई भारत की अर्थव्यवस्था संभल रही है लेकिन अप्रैल में संक्रमण की दूसरी लहर के कारण इस रिकवरी पर ब्रेक लग गया है. झारखंड में स्थानीय स्तर पर लगाए जा रहे लॉकडाउन के कारण अप्रैल से जून वाली पहली तिमाही में आर्थिक संवृद्धि पर नकारात्मक असर दिखाई दे रहा है. अगर जून तक हालात सामान्य नहीं होते हैं तो इसका असर पूरे साल की जीडीपी पर दिख सकता है. वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कोरोना के कारण राज्य की आर्थिक स्थिति पर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण छोटे दुकान और उद्योग बंद हैं. पेट्रोल-डीजल की बिक्री कम हो गई है ऐसे में जीएसटी का पैसा भी राज्य को कम मिलेगा. राज्य की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है जिसका आकलन सरकार आने वाले समय में करेगी.

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उद्यमियों की आर्थिक स्थिति बदहाल

मोरहाबादी में महज एक हजार रुपए से ठेले पर कारोबार शुरू कर 40-50 हजार रुपए हर महीना कमाने वाले सुजीत कुमार बताते हैं कि कोरोना के कारण सब कुछ खत्म हो गया है. लगातार घाटे के कारण परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है. किराये पर ऑटो चलाने वाली ददिया उरांव का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से पैसेंजर नहीं मिल रहे हैं. दिन भर में महज 50 से 60 रुपए की कमाई हो पाती है. सरकारी अनाज से किसी तरह घर चल जाता है लेकिन घरेलू काम के लिए पैसे नहीं हैं. सरकारी ऑफिस में सामानों की आपूर्ति करने वाले कारोबारी प्रवीण लोहिया बताते हैं कि लॉकडाउन के कारण लोगों की आवाजाही और कारोबारी गतिविधियां प्रभावित हुई हैं. कालाबाजारी चरम पर है और उद्योग धंधे चौपट हो रहे हैं. आने वाले समय में इसे पटरी पर लाना आसान नहीं होगा. संकट की इस घड़ी में केंद्र और राज्य सरकार को तात्कालिक नीतिगत उपायों पर विचार करने की जरूरत है.

Last Updated : May 22, 2021, 10:46 PM IST

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