सरना धर्म कोड पर नेताओं के बयान रांची:झारखंड में फिर एक बार सरना धर्म कोड को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गयी है. इसकी शुरुआत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर की है. वहीं मुख्यमंत्री के चिट्ठी लिखने के बाद अब कांग्रेस ने भी आदिवासी समुदाय के लिए जनगणना में सरना धर्म के लिए अलग कोड की मुख्यमंत्री की मांग का समर्थन करते हुए भाजपा पर राजनीतिक हमले तेज कर दिए हैं. ऐसे में अलग सरना धर्म कोड को लेकर अभी भारतीय जनता पार्टी के नेता दुविधा में दिखते हैं.
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झारखंड भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अविनेश कुमार सिंह सरना धर्म कोड पर भाजपा के स्टैंड को लेकर पूछे सवाल पर इतना ही कहते हैं कि पार्टी अभी इस पर अध्ययन कर रही है. भाजपा के नेता कहते हैं कि भ्रष्टाचार के मामले में फंसे हेमंत सोरेन जान बूझकर नाजुक मुद्दे को उछाल रहे हैं.
बता दें कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 26 सितंबर 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अनुसूचित जनजातियों के लिए अलग 'सरना धर्म कोड' निर्धारित करने की मांग की है. इससे पहले 11 नवंबर 2021 को झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया था. जिसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अलग सरना धर्म कोड की मांग का प्रस्ताव विधानसभा से पास कराया था. जिसे राजभवन भेजा जा चुका है.
अलग सरना धर्म कोड के लिए तर्क:अलग सरना धर्म कोड को जनजातीय समाज के लोगों की पहचान से जोड़ते हुए यह तर्क दिया जाता है कि 'सरना धर्म' हिंदू सनातन धर्म से भी प्राचीन धर्म होने के बावजूद आज इसकी अपनी पहचान नहीं है. इसका हवाला देकर जनजातीय समुदाय द्वारा अलग-अलग समय पर अलग सरना धर्म कोड की मांग की जाती रही है.
प्राचीनतम धार्मिक पद्धति होने का हवाला देकर आदिवासी समुदाय के कई संगठनों और बुद्धिजीवियों का कहना है कि 'सरना धर्म' ही प्राचीनतम धर्म है, जो प्रकृति की पूजा करते हैं. इसके उपासक वर्तमान में झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, नार्थ ईस्ट के राज्य, बिहार, प. बंगाल और महाराष्ट्र में हैं.
मुख्यमंत्री ने लिखा पीएम को पत्र:26 सितंबर को मुख्यमंत्री ने पीएम मोदी को अलग सरना धर्म की मांग को लेकर जो पत्र लिखा है, उसमें उन्होंने बिंदुवार इसकी वजह बताई है. उन्होंने जनजातीय समुदाय द्वारा पेड़, पहाड़, जंगल के संरक्षण को ही अपना धर्म मानने का हवाला देते हुए देश और राज्य में सरना धर्म में आस्था रखने वालों की संख्या का जिक्र किया है. उन्होंने पत्र में लिखा है कि आदिवासियों के लिए सबसे बड़ा ग्रंथ जंगल, पहाड़, जमीन और प्रकृति हैं. मुख्यमंत्री ने जनजातीय समुदाय की घटती जनसंख्या का हवाला देते हुए भी अलग धार्मिक पहचान की जरूरत बताई है.
सरना धर्म कोड को लेकर भाजपा पर आक्रामक कांग्रेस:अलग सरना धर्म कोड की मांग को लेकर कांग्रेस ने भी आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया है. मुख्यमंत्री के पीएम को पत्र लिखने के बाद कांग्रेस ने भाजपा पर सीधा हमला बोला है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि महागठबंधन की सरकार ने अलग सरना धर्म कोड का प्रस्ताव विधानसभा से पास कराकर राजभवन भेजा. लेकिन या तो भूलवश या फिर जान बूझकर राजभवन ने उसे सही तरीके से विधानसभा को नहीं लौटाया. राजेश ठाकुर ने कहा कि सब जानते हैं कि अब राजभवन भी पीएमओ से गाइड होता है.
अर्जुन मुंडा बताएं कि वह सरना धर्म को मानते हैं या नहीं-कांग्रेस:कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि अर्जुन मुंडा बताएं कि वह सरना धर्म को मानते हैं या नहीं? अर्जुन मुंडा अगर सरना धर्म कोड को लेकर संजीदा हैं तो वह इसके लिए काम करें. राजभवन से बात करें और अलग सरना धर्म कोड का मार्ग प्रशस्त करें. उन्होंने कहा कि जनजातीय कल्याण का केंद्रीय मंत्री होने के बावजूद अर्जुन मुंडा द्वारा अलग सरना धर्म कोड के लिए कुछ नहीं करना, सरना धर्म का अपमान जैसा है.
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ध्यान भटकाने के लिए उठाए जा रहे नाजुक मुद्दे:मुख्यमंत्री, झामुमो और कांग्रेस द्वारा एक स्वर में अलग सरना धर्म कोड की मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के राज्य प्रवक्ता ने कहा कि भ्रष्टाचार के गंभीर मुद्दों से घिरे मुख्यमंत्री और सरकार लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अविनेश कुमार सिंह ने कहा कि राज्य का निर्माण अटल बिहारी वाजपेयी के संकल्प से हुआ है. पीएम मोदी ने जनजातीय समाज के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई हैं. ऐसे में जब मुख्यमंत्री खुद भ्रष्टाचार के मामले में फंसे हुए हैं तो वह नाजुक मुद्दे को उठा रहे हैं.
क्यों महत्वपूर्ण है सरना धर्म कोड:राज्य में 26% से अधिक आबादी जनजातीय समाज की है. राज्य में विधानसभा की 28 और लोकसभा की 05 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. वहीं अन्य सीटों पर भी उनकी संख्या अच्छी खासी है. लोकसभा की आरक्षित 05 में से 03 सीटों पर भाजपा का कब्जा है. वहीं बाकि दो सीटों पर महागठबंधन का कब्जा है. हेमंत सोरेन सरना धर्म कोड के भावनात्मक मुद्दे के साथ लोकसभा की ज्यादातर सीटों पर इंडिया गठबंधन को जीत दिलाना चाहते हैं.