रांचीःपंडरा बाजार समिति, जहां रोजाना हजारों की संख्या में दुकानदार और खरीदारों की भीड़ लगी रहती थी. लेकिन बुधवार को यह भीड़ नहीं दिखी. इसकी वजह थी कि बुधवार से व्यावसायियों ने कृषि शुल्क बढ़ोतरी के खिलाफ अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. आंदोलन के पहले दिन करीब 100 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
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व्यवसायियों के हड़ताल की वजह से रांची सहित पूरे राज्य में खाद्यान्न के अलावे सब्जी और फलों के थोक और खुदरा व्यवसाय प्रभावित हुए हैं. हड़ताल के पहले दिन रांची के पंडरा बाजार समिति और अपर बाजार में पूरी तरह से व्यवसायिक कारोबार ठप रहा. हड़ताल के समर्थन में झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स के पदाधिकारियों की ओर से पंडरा बाजार समिति में हाथ में काला झंडा लेकर प्रदर्शन किया.
झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष किशोर मंत्री ने कहा कि कृषि शुल्क बढ़ोतरी से आम लोगों पर महंगाई का बोझ बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि सामानों के दाम बढ़ेंगे और सरकार को जितनी राजस्व मिलने की उम्मीद है, उससे ज्यादा क्षति होगी. उन्होंने कहा कि इस हड़ताल में वैसे सभी लोग शामिल हैं, जो खाद्यान्नों के थोक व्यवसाई करते हैं. उन्होंने कहा कि सुबह से राज्य भर में खाद्यान्नों का आवक और जावक पूरी तरह से ठप है.
राजधानी के पंडरा बाजार समिति में व्यवसायियों का हड़ताल का असर देखने को मिला है. पंडरा बाजार समिति में जहां दुकानें बंद थी. वहीं बाहर से आई गाड़ियों पर सामान यूं ही लोद था. गौरतलब है कि पंडरा बाजार समिति में हर दिन कोलकाता, छत्तीसगढ़, बिहार, ओडिशा, उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों से सैकड़ों ट्रक सामान आता है, जिससे करोड़ों रुपये का कारोबार होता है.
पंडरा बाजार समिति के अध्यक्ष संजय कुमार माहुरी ने हड़ताल को सफल बताते हुए कहा कि जिस तरह से सरकार ने कृषि शुल्क बढ़ोतरी की है. इसके विरोध में हर कोई है और यही वजह है कि बाजार समिति परिसर में स्थित दुकानें बंद हैं और कारोबार पूरी तरह से ठप है. झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स के संयुक्त सचिव शैलेश अग्रवाल ने कहा कि यदि यही स्थिति रही तो राज्य में भयावह स्थिति उत्पन्न हो जाएगी. उन्होंने कहा कि हड़ताल की वजह से प्रतिदिन 100 करोड़ का कारोबार प्रभावित होने की संभावना है.
व्यवसायियों के हड़ताल की वजह से हर दिन कमाने खाने वाले मोटिया मजदूर की स्थिति सबसे ज्यादा प्रभावित होगी. सामान्य दिनों की तरह मजदूर आज सुबह भी घर से निकले. लेकिन उन्हें काम नहीं मिला. वह पूरे दिन भर यूं ही बैठे रहे. उन्हें चिंता इस बात की सताने लगी कि अब जब वह घर लौटेंगे तो घर का राशन कैसे खरीदेंगे. मजदूर विनोद चौधरी कहते हैं कि सरकार को इस हड़ताल को खत्म कराने की दिशा में कदम उठाना चाहिए.