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झारखंड के प्रशिक्षित मजदूरों की बढ़ी डिमांड, सेवा विमान से 7 मजदूर कर्नाटक के बीजापुर रवाना - झारखंड के मजदूरों का फिर से पलायन शुरू

लॉकडाउन के दौरान झारखंड सरकार दूर-दराज दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों को एयरलिफ्ट कर उनके घर तक पहुंचाते रही. इसके साथ ही इन मजदूरों को घर में रोजगार दिलाने की कोशिश में जुटी है. अब अनलॉक 1 के दौरान यातायात शुरू होने के बाद मजदूर फिर से रोजगार की जुगाड़ में पलायन करने लगे हैं. सोमवार को रांची एयरपोर्ट से 7 मजदूर कर्नाटक के लिए उड़ान भरी.

Increased demand for trained workers of Jharkhand
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Published : Jun 8, 2020, 3:36 PM IST

रांची: लॉकडाउन के दौरान लाखों श्रमिक दूसरे राज्यों से अपने-अपने घर लौटे थे. राज्य सरकार भी अपने मजदूरों को वापस लाने के लिए स्पेशल ट्रेन से लेकर एयरलिफ्ट तक की. अब रोजगार के लिए फिर से झारखंड के हुनरमंद मजदूरों का पलायन शुरू हो गया है.

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हुनरमंद मजदूरों का फिर से पलायन शुरू

बदलाव की बयार बहने लगी है, अनलॉक की तरफ कदम रखते ही जिंदगी की गाड़ी वापस पटरी पर लौटने लगी है. प्रशिक्षित मजदूरों के अभाव में दूसरे राज्यों में बंद फैक्ट्रियों के संचालक अपने भरोसेमंद मजदूरों को वापस बुलाने लगे हैं. कल तक जो लोग धक्का खाकर घर लौटे थे, अब उन मजदूरों को कंपनियां फिर से बुलाने लगी है. इसके लिए बकायदा कंपनी की ओर से विमान सेवा दिया जा रहा है. सोमवार को रांची एयरपोर्ट से कर्नाटक के बीजापुर स्थित क्रशर प्लांट में काम करने के लिए गढ़वा के 7 मजदूर सेवा विमान से हैदराबाद के लिए रवाना हुए.

हुनरमंदों को हवाई सेवा से बुला रही हैं कंपनियां

गढ़वा के चिनिया प्रखंड स्थित खूरी गांव के तौहीद ने बताया कि मार्च में जब लॉकडाउन शुरू हुआ था, उसके 2 दिन पहले वह अपने साथी कामगारों के साथ छुट्टी पर गांव लौटे थे, लेकिन लॉकडाउन के कारण सब कुछ बंद हो गया और उनके सामने आफतों का पहाड़ टूट पड़ा. इस बीच बीजापुर के लोकापुर स्थित श्री साई स्टोन क्रेशर में उत्पादन प्रभावित होने लगा. अब अनलॉक की वजह से कुछ विमान सेवा शुरू होने के कारण फैक्ट्री संचालक ने अपने विश्वासी मजदूरों से संपर्क किया और उन्हें फ्लाइट का टिकट मुहैया कराया, ताकि उत्पादन में तेजी लाई जा सके.

इस्लाम अंसारी ने कहा कि वे पिछले 4 सालों से क्रशर प्लांट में काम करते आ रहे हैं, लेकिन लॉकडाउन की वजह से काम छीन गया और उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई. उन्होंने बताया कि क्रेशर प्लांट में प्रति महीने 10 हजार मिलता है. साथ में खाने और रहने की व्यवस्था कंपनी की ओर से ही रहती है. इस वजह से कुछ पैसे बच जाते हैं जिसे गांव में रह रहे परिवार को भेज देते हैं. उन्हें खुशी है कि पहली बार विमान से सफर करने का मौका मिल रहा है और इनके हुनर को इज्जत भी मिल रही है.

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